व्यायाम करते समय शरीर में पानी और नमक की कमी हो जाती है। अतः संभव हो तो एक गिलास इलेक्ट्रॉल का द्घोल पिएं अन्यथा सादा पानी पिएं। यदि व्यायाम पंद्रह मिनट से अधिक समय तक जारी रहता है तो फिर पानी पिएं अर्थात व्यायाम एक द्घंटे का हो तो हर पंद्रह मिनट पर पानी पिएं।
व्यायाम समाप्त होने पर एक गिलास दूध, शर्बत,फलों का रस या ग्लूकोज का घोल पिएं।
व्यायाम यथासंभव खुले स्थान में करें ताकि फेफड़ों को स्वच्छ व शीतल हवा मिल सके। व्यायाम का उत्तम समय प्रातः सूर्योदय से पूर्व या संध्या सूर्यास्त के बाद है। खुली धूप में व्यायाम नहीं करना चाहिए।व्यायाम करते समय ढीले वस्त्र पहनने चाहिए जिनसे अंग संचालन में सुविधा हो।
शारीरिक रूप से कमजोर और मरीजों को कड़े व्यायाम बहुत देर तक नहीं करने चाहिए क्योंकि व्यायाम में शरीर से ऊर्जा, पानी व नमक व्यय होता है। इससे ब्लड प्रेशर कम होता है। ब्लड प्रेशर की कमी से अत्यधिक कमजोरी या द्घबराहट की समस्या कुछ समय के लिए हो जाएगी। यह स्थिति कुछ लोगों के लिए द्घातक भी हो सकती है, इसलिए ऐसे लोग हल्के-फुल्के व्यायाम अल्प समय के लिए करें।
तीव्रता वाले व्यायाम करने से मोटे लोगों को दिक्कत पैदा हो सकती हैं क्योंकि शरीर में मौजूद चर्बी शरीर से गर्मी निकलने में रूकावट डालती है। अतः ऐसे लोग हल्की एक्सरसाइज से शुरू करें। पहले दिन हल्का व्यायाम अल्प समय करें, फिर हर दिन उसमें एकाध मिनट का इजाफा करते जाएं। व्यायाम करने की रफ्तार भी बढ़ा दें।
उमस भरे मौसम में कठोर व्यायाम न करें।
शरीर का तापमान बाहर के तापमान से कम होगा तो शरीर की गर्मी बाहर निकलने में देर लगेगी। ऐसे में हल्के समय में हल्के व्यायाम करें।
नियमित व्यायाम तन और मन दोनों के लिए फायदेमंद है। नियमित व्यायाम करने से शरीर में स्फूर्ति अनुभव होती है, तनाव दूर भागता है, सोते समय अच्छी नींद आती है। नियमित व्यायाम से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, मांसपेशियां स्वस्थ रहती हैं। इससे चेहरा कांतिमय बना रहता है, शरीर सुडौल रहता है और काफी हद तक मन भी प्रसन्न रहता है।
अत्यधिक उमस या ठंड में और कई बार किसी अन्य परिस्थिति में व्यायाम करने की इच्छा नहीं होती है, तो भी व्यायाम करना ही चाहिए क्योंकि व्यायाम भी शरीर को स्वस्थ रखने की लगभग वैसी ही जरूरत है जैसी भोजन और पानी आदि।