कहते हैं ‘मेडिटेशन इज माइंड विदाउट एजिटेशन, ध्यान से मन शांत निर्विकार होता है इसमें दो राय नहीं। ध्यान में अपने चित्त की गतिविधि को देहगत संवेदना को तटस्थ बनकर, सिर्फ साक्षी के तौर पर देखा जाता है। अपने को पहचानने का एक उत्तम जरिया है ध्यान। यह अपने आप में एक संपूर्ण व्यायाम है जो आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सुधारता है और तनाव से छुटकारा दिलाता है। आधुनिक युग की खास बीमारियां हैं विभिन्न प्रकार के मनोरोग एड्स, कैंसर, दिल के रोग, हाई ब्लडप्रैशर इत्यादि। कारण है आज की तनाव भरी आर्टिफिशल जिन्दगी। जिसमें सहजता और उन्मुक्त हास्य का अभाव है। प्रकृति से बढ़ती दूरी, बढ़ती महत्वाकांक्षाएं और गलाकाट प्रतियोगिताओं का स्ट्रैस, इन बीमारियों का इलाज इतना आसान नहीं।
हालांकि, मेडिकल साइंस बहुत प्रोग्रेस कर गया है लेकिन इलाज के साइड इफैक्ट्स और भारी भरकम खर्चे हर कोई अफोर्ड नहीं कर सकता, इसी कारण ही लोग आल्टरनेटिव थैरेपी की ओर आकर्षित होते हैं। रामदेव सबसे बड़ा ज्वलंत उदाहरण हैं जो योग को लोकप्रिय बना रहे हैं। इसके अलावा आज विभिन्न प्रकार की थेरेपीज पर रिसर्च वर्क हो रहा है कुछ ऑलरेडी डेवलप हो चुकी हैं।
अगर आध्यात्मिक स्तर पर देखें तो दिलो दिमाग की सुख शांति के लिए विभिन्न सिद्धान्त और प्रैक्टिसेज पाई जाती हैं जिनमें ध्यान पद्धति अपनाने वालों को इससे काफी फायदा हुआ है।
दीघायु होने के लिए :- मेडिटेशन से उम्र बढ़ती है। चित्त शांत रहेगा, मन खुश रहेगा तो बीमारियां कम द्घेरेंगी। इम्यून सिस्टम स्ट्रांग रहेगा। केलोरीज पर कंट्रोल रहेगा तो वजन नियन्त्रण में रहेगा जिससे जीवन डोर लंबी होती है और व्यक्ति की आयु दीर्द्घ होती है।
तनाव द्घटता है :- जीवन में व्यक्ति को जाने कितनी तरफ से कितने दबाव झेलने पड़ते हैं। कभी कार्यालय के, कभी परिवारिक रिश्तों को लेकर, कभी बीमारी और पर्यावरण को लेकर जिनके कारण मनुष्य चिंताग्रस्त रहने लगता है। वह ब्लडप्रैशर और दिल की बीमारी का मरीज बन जाता है।
रिसर्च से पता चला है कि रक्त में पाये जाने वाले हार्मोंस और दूसरे बायोकेमिकल उत्पाद जिनसे स्टै्रस का पता चलता है, ध्यान के दौरान द्घट जाते हैं। समयानुसार ये बदलाव स्थिर हो जाते हैं। इस तरह से व्यक्ति अपने रोजमर्रा के कार्यो को करते हुए बायोकेमिकली कम तनाव महसूस करता है।
श्वास संबंधी रोगों में फायदा :- श्वास से जुड़े अनेक रोगों जैसे अस्थमा, एंफीसेमा और श्वासनली अवरूद्ध होने से श्वास रूकने का खतरा बना रहता है जिससे रोगी एक भय लेकर जीता है। अध्ययनों से पता चलता है कि ऐसे रोगों से ग्रस्त रोगियों को ब्रेथ मेडिटेशन से सांस लेने में काफी रिलीफ मिलता है।
विभिन्न तनावों से मुक्ति :- स्त्रियों में मासिक चक्र से पूर्व जो तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है जिसे मेडिकल भाषा में प्री मिेंस्ट्रएल सिंड्रोम कहते हैं, के कारण उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे भारीपन, थकान, दर्द, जकड़न इत्यादि। अगर नियमित रूप से मेडिटेशन की जाए तो पी.एम.एस से निजात पाई जा सकती है।
तनाव संबंधी अन्य व्याधियों से रिलीफ :- तनाव संबंधी अन्य कई व्याधियों जैसे अल्सर, अनिद्रा, आई बी एस (इरिटेबल बॉवेन सिंड्रोम) में भी मेडिटेशन से आराम आता है। करीब सत्तर से अस्सी प्रतिशत लोगों को अनिद्रा रोग से मुक्ति मिली है। वे चैन की नींद सोने लगे हैं। जोड़ों के रोग से लेकर सिरदर्द, हर समय चिंता, द्घबराहट व नर्वस डिसऑर्डर जैसे मनोरोगों के लिए भी मेडिटेशन दवा का काम करता है।
दर्द सहने की शक्ति बढ़ती है :- दर्द के कारण चिंता बढ़ती है और बढ़ी हुई चिंता दर्द बढ़ाती है। इस तरह यह एक दुष्चक्र (विशस सर्कल) बन जाता है। इस तरह जीने का मजा नहीं रहता। जो लोग तनावरहित रहते हैं उन्हें दर्द उतना महसूस नहीं होता जितना उन्हें जो तनाव में द्घिरे रहते हैं।
मेडिटेशन ही इस दुष्चक्र का तोड़ है। हालांकि दर्द ठीक तो नहीं हो जाता लेकिन उसे सहने का मादा मेडिटेशन से बढ़ जाता है। मेडिटेशन खुद पर विश्वास जगाता है और आत्मबल बढ़ाता है जो एक क्वालिटी लाइफ जीने के लिए बहुत जरूरी है।