रिपोर्टर निवृत्ती रोकडे हाल ही में एक समाचार मीडिया के माध्यम से वायरल हो गया है और जिसमें अनु.जाति समाज के कल्याण के लिए 4 करोड़ रुपये 30 लाख रुपये का आरक्षित फंड सामाजिक न्याय और विशेष सहायता विभाग द्वारा सामाजिक न्याय और विशेष सहायता विभाग की मंजूरी के साथ “लाडली बहन फ़ंड मी हुआ है। आदिवासी कानूनों के धन। 336 करोड़ रुपये को प्रासंगिक योजना में बदल दिया गया है यह खबर वायरल है और इसमें एमए है। मुख्य सचिव, महाराष्ट्र की सरकार ने उल्लेख किया है कि सरकार ने 2 मई, 2022 को सरकार का फैसला जारी किया है। यदि समाचार की सच्चाई सत्यापन में सच है तो राज्य विधानसभा/सम्मेलन (सत्तारूढ़, विरोधी पार्टी) में आरक्षण श्रेणी से चुने गए लोगों के प्रतिनिधियों ने इस बयान का विरोध क्यों नहीं किया? उनके द्वारा चुने जाने के बाद अनुसूचित जातियों /जनजातियों की प्रगति और कल्याण की भावना को नष्ट कर दिया गया इसलिए उन्होंने इस श्रेणी के निधियों का विरोध कहीं और नहीं किया होगा? सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि सामाजिक न्याय विभाग के मंत्री महोदय ने विरोध क्यों नहीं किया, जबकि सामाजिक न्याय विभाग के निधियों को कहीं और डायवर्ट किया जा रहा था? शायद संबंधित संकेतों, शैक्षिक छात्रवृत्ति आदि की कल्याणकारी योजना के धन के लिये राज्य सरकार किस विभाग का निधी सामाजिक न्याय और विशेष सहायता विभाग को वर्ग करनेवाली है? “लाडली बहनों” के वित्त पोषण के लिये सामाजिक न्याय विभाग अलावा कोई अन्य विभाग कि फंडिंग वर्ग के लिये नही दिखाई दी? समग्र तस्वीर से पता चलता है कि महाराष्ट्र सरकार ने आरक्षण की समाप्त करने का एक तरीका शुरू किया है, चाहे वह सरकार का सर्वजनिक शिक्षा विभाग निजीकरण हो, चाहे वह नोकर भर्ती हो,या शैक्षिक नीति का हिस्सा हो। सरकारी संस्थानों को अगली अवधि में निजी संस्थानों के कब्जे में दिए जाने के बाद, गरीब और बहूजन छात्राँकी शिक्षा प्रगती पैसो की फी न भरणे स्वरूप भविष्य में रुक जाणे की संभावना से नकारा नही जा सकता |
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