रूपनगर, पंजाब/अमित शर्माः पंजाब को 4 सप्ताह के भीतर नशा मुक्त बनाने के ऐलान को व्यावहारिक रूप देने के उद्देश्य से पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा तथा राज्य के सभी पुलिस कमिश्ररों, डिप्टी कमिश्नरों (डी.सी.) व एस.एस.पीज के साथ उच्च स्तरीय बैठक 20 मार्च को चंडीगढ़ में करेंगे। सूत्रों के कैप्टन द्वारा पुलिस बैठक में तमाम पुलिस अफसरों को यह संदेश भेज दिया जाएगा कि नशा बेचने वालों के साथ कोई नर्मी न की जाए और न ही नशा तस्करों के साथ कोई लिहाज किया जाए। पंजाब में आने वाली नशों की चेन को तोडऩे के लिए पुलिस अधिकारियों को स्पष्ट संदेश दिया जाएगा। कैप्टन अपने समस्त विधायकों को भी इस मामले में कह चुके हैं कि वे किसी प्रकार की सियासी दखलअंदाजी न करें। पुलिस को वह इस मामले में जवाबदेह बनाएंगे। यह भी बताया जाता है कि कैप्टन द्वारा पुलिस अधिकारियों के साथ पहली ही बैठक में उन्हें कानून व्यवस्था की स्थिति को पूरी तरह से नियंत्रण में रखने के लिए कहा जाएगा। पूर्व सरकार के समय कानून-व्यवस्था की हालत काफी बदतर रही है, परन्तु कैप्टन इस मामले में काफी सख्त स्वभाव के माने जाते हैं। पुलिस अधिकारियों को वह राजनीतिक दबाव से ऊपर रखने के निर्देश भी देंगे। पुलिस के कामकाज में राजनीतिक दखलअंदाजी को खत्म किया जाएगा। पहली बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें पुलिस अधिकारियों को एक स्पष्ट संदेश दे दिया जाएगा कि नशों के मामले में वह किसी भी राजनीतिक दबाव में आए बिना काम करें तथा राज्य को 4 सप्ताह के भीतर नशा मुक्त करने में सहयोग दें। अकालियों के शासनकाल में पुलिस के कामकाज में सियासी दखलअंदाजी जारी थी। चाहे अकाली सरकार ने भी नशों के खिलाफ चुनाव से एक वर्ष पहले अभियान चलाया था परन्तु वह सियासी दखलअंदाजी की भेंट चढ़ गया। पुलिस ने उल्टा नशेडिय़ों की ही धरपकड़ करके उन्हें जेलों में भेज दिया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि नशा करने वालों का इलाज करवा कर उनका पुनर्वास किया जाना चाहिए। नशा बेचने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई, उल्टा पुलिस के ऊपर उंगलियां उठनी शुरू हो गई थी। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए कैप्टन नशों के खिलाफ ऐसी मुहिम चलाएंगे, जिसकी निगरानी एक टास्क फोर्स द्वारा की जाएगी।