रायपुर, छत्तीसगढ़़, नगर संवाददाता : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस प्रवक्ता शैलेश नितिन त्रिवेदी ने बिजली बिल के मुद्दे पर सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि बिजली छत्तीसगढ़ में सबसे सस्ती है। उन्होंने बताया कि बिजली बिल हाफ योजना के तहत जो बिजली की दरें हैं उसका भी 50 प्रतिशत ही लिया जा रहा है। यह देश में आम बिजली उपभोक्ता के लिए सबसे सस्ती दरों में से एक दर हो जाती है। देश में सबसे सस्ती बिजली आम उपभोक्ता को छत्तीसगढ़ में मिला है। भाजपा को चुनौती है कि उस भाजपा शासित राज्य का नाम बताये जहां आम उपभोक्ता को छत्तीसगढ़ से सस्ती बिजली मिलती है।
उन्होंने कहा, बिजली दरों को प्रभावित करने वाले फेक्टरों पर एक रिपोर्ट फोरम ऑफ रेगुलेटरर्स ने तैयार की जिसकी प्रति हमारे पास उपलब्ध है। जो पत्रकार साथी चाहें मीडिया कार्यालय में इसका अवलोकल कर सकते हैं। बिजली की दरों में पॉवर परचेज कास्ट, ट्रांसमिशन चार्जेस और फिक्स कास्ट फेक्टर, ये तीन महत्वपूर्ण कारक होते हैं। पॉवर परचेज कास्ट में कोयला 25 प्रतिशत, रेल भाड़ा 41 प्रतिशत, सड़क परिवहन 11 प्रतिशत, क्लीन एनर्जी सेस 11 प्रतिशत और अन्य वेरियेवल 12 प्रतिशत होते हैं। क्लीन एनर्जी सेस जून 2010, 50 रूपये प्रति टन से मार्च 2016 तक 400 रूपये प्रति टन हो चुका है। यह वृद्धि केंद्र सरकार द्वारा की गयी है।
पॉवर सेक्टर में क्लीन एनर्जी सेस का प्रभाव पिछले 3 वर्षों में 25000 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष है। क्लीन एनर्जी सेस को अब कम करने की जरूरत है लेकिन मोदी सरकार इसे बढ़ाते ही जा रही है। कोयले की कीमतें केंद्र सरकार द्वारा ही 13 प्रतिशत से 18 प्रतिशत बढ़ा दी गयी है। केंद्र सरकार रेल भाड़ा लगातार बढ़ा रही है। 2018 वर्ष में ही दो बार रेल भाड़ा बढ़ाया गया। जनवरी 2018 में 21 प्रतिशत और नवंबर 2018 में 9 प्रतिशत भाड़ा बढ़ाया गया। पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने के कारण सड़क परिवहन भी निरंतर महंगा हो रहा है।
पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी केंद्र सरकार द्वारा लगातार बढ़ाई जा रही है। स्पष्ट है कि पॉवर ट्रांसमिशन चार्जेस भी पीपीसी में महत्वपूर्ण है। 2011-12 में 9000 करोड़ से बढ़कर ट्रांसमिशन चार्ज 39000 करोड़ हो चुके हैं। राज्यों के स्वयं के ट्रांमिशन चार्जेस और राज्य से राज्य में होने वाले ट्रांसमिशन चार्ज की तुलना यह बताती है। राज्य केंद्र सरकार की तुलना में बहुत कम दरों में ट्रांसमिशन कर रहे हैं। इसलिए पूरे देश में महंगी बिजली के लिए भाजपा की केंद्र सरकार ही जिम्मेदार है।
फिक्स चार्जेस कास्ट भी लगातार बढ़ रही है। इन परिस्थितियों में कमेटी ने सिफारिश की है कि कोयले की दरें कम की जाये। पिछले 4 वर्षों में रेल भाड़े में 40 प्रतिशत वृद्धि को देखते हुए इस पर भी रोक लगे। क्लीन एनर्जी सेस कम किया जाये। पर्यावरण की जरूरतों के मुताबिक काम की जरूरत है लेकिन इससे बोझ आम उपभोक्ता पर बढ़ते ही जा रही है। बढ़ती ट्रांसमिशन कास्ट को भी कम करना आवश्यक है। यह सारे फेक्टर्स केंद्र सरकार के ही हाथ में है।