बादशाहपुर, नगर संवाददाता: अगर कोई मनुष्य अपराध करता है तो उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है। इसी तरह अगर घुमंतू जीव भी लोगों की जिंदगी के लिए खतरा बनते हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई का नियम बने। सेक्टर-83 स्थित गुड़गांव-21 सोसायटी में एक कुत्ते ने 22 बच्चों को काट लिया। उसके बाद जिन लोगों के बच्चों को कुत्ते ने काटा उनके खिलाफ ही एफआइआर दर्ज कर ली गई। इस प्रकरण के बाद सोसायटी के लोगों में इस तरह के सवाल उठने लगे हैं। पेटा कानून के तहत जीव रक्षा के नाम पर इस तरह के कुत्ते-बंदर आदि पर कार्रवाई करने से अधिकारी भी हिचकते हैं। जीव रक्षा के नाम पर कुछ नहीं हो पाता है। नगर निगम को इस तरह के घुमंतू कुत्तों को पकड़ने तक का भी अधिकार नहीं है। सोसायटी के लोग ना केवल कुत्तों से बल्कि बंदरों से भी काफी दुखी हैं।
सोसायटी के लोग सुरक्षा के नाम पर प्रत्येक माह रखरखाव शुल्क देते हैं। कुत्तों को भोजन खिलाने के नाम पर कोई भी व्यक्ति सोसायटी में घुमंतू कुत्तों को संरक्षण दे, यह बिल्कुल गलत है। कुत्ते व बंदर आदि को पकड़कर किसी एनजीओ के हवाले करने या शेल्टर होम में छोड़ने की शक्तियां प्रशासन को हमको देनी चाहिए। सरकार को इस नियम में बदलाव करना चाहिए।
प्रदीप राही, अध्यक्ष, आरडब्ल्यूए, रामप्रस्था सोसायटी हम भी किसी जीव पर अत्याचार नहीं करना चाहते हैं और ना ही किसी जीव की हत्या करने का उद्देश्य है। लेकिन जब इस तरह के जीव लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने लगे, उसके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार प्रशासन के पास होना चाहिए। नगर निगम ऐसे जीवो से लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लें।
धर्मवीर सिंह लोहचब, अध्यक्ष, आरडब्ल्यूए, कासाबेला सोसायटी एनजीओ चलाने वाले कुछ लोग जीव रक्षा के नाम पर कानून से खिलवाड़ करते हैं। वह गलत है। पेटा कानून के तहत इस तरह के जीवों पर कार्रवाई करने से अधिकारी भी पीछे हटते हैं। सरकार इस तरह की कोई नीति बनाकर ऐसे जीवो को पकड़ने और उनको शेल्टर होम में भेजने की व्यवस्था करें ताकि लोग शांति से जीवन व्यतीत कर सकें।
कीर्ति, अध्यक्ष, अंतरिक्ष हाइट्स सोसायटी
सोसायटी में कुत्तों को भोजन खिलाने के नाम पर बुलाना। उसके बाद इन कुत्तों से लोगों की जान को खतरा हो जाए तो इस पर शासन को कार्रवाई करनी चाहिए। निगम के अधिकारियों को इस तरह की शक्तियां प्रदान की जाएं। जिससे वे लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाले कुत्ते आदि को पकड़कर किसी सुरक्षित जगह पर भेज सकें।
राममेहर, अध्यक्ष, गुड़गांव-21 सोसायटी क्या है पेटा
पीपल्स फार एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल (पेटा) एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है। पशुओं पर होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए इस संस्था का गठन किया गया था। पशुओं के साथ नैतिक व्यवहार के पक्षधर लोगों ने इस संस्था का गठन किया। पशुओं पर क्रूरता रोकने के लिए पशु क्रूरता अधिनियम 1960 बनाया गया। इस अधिनियम के तहत किसी भी जानवर को पीटना, क्रूरता करना, उस पर अत्यधिक बोझ लादना या किसी भी प्रकार का उसको दर्द पहुंचाना दंडनीय अपराध है। ऐसा करने वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 428, 429 के तहत भी कार्रवाई की जाती है।