रोहतक, नगर संवाददाता: हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण की मोबाइल वैन के माध्यम से जिला रोहतक के ग्रामीण आंचल से जुड़े विभिन्न गांवों में फरवरी माह में आयोजित होने वाले कानूनी जागरुकता व साक्षरता कार्यक्रमों की श्रंखला में आज ग्रामीण आंचल से जुड़े गांव बसाना के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में मानवाधिकार, घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण व फसलों के अवशेष जलाने से संबंधित कानूनी विषय पर एक विशेष निशुल्क कानूनी जागरुकता व साक्षरता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के पैनल के वरिष्ठ अधिवक्ता राजबीर कश्यप द्वारा उपरोक्त विषय पर विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद 1948 में 48 देशों के समूह ने समूची मानव जाति के मूलभूत अधिकारों की व्याख्या करते हुए एक चार्टर पर हस्ताक्षर किये थे, जिसमें माना गया था कि नागरिकों के मानवाधिकारों की हर कीमत पर रक्षा की जानी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र के इस चार्टर पर भारत ने भी हस्ताक्षर किये तब कहीं जाकर 1993 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग अस्तित्व में आया। मानवाधिकार नागरिकों के वे मूलभूत सार्वभौमिक अधिकार हैं, जिनसे नागरिकों को नस्ल, जाति, राष्ट्रीयता, धर्म, लिंग आदि किसी भी दूसरे कारक के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता है।
कश्यप ने बताया कि भारत वर्ष के मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 2 के तहत मानव अधिकारों से अभिप्राय संविधान के अंतर्गत अथवा अंतर्राष्ट्रीय प्रसंविदाओं मे सम्मिलित तथा भारत में न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय जीवन, स्वत्रंता, समानता तथा नागरिकों की गरीमा से संबंधित अधिकार हैं। भारतीय संविधान अधिकारों की न सिर्फ गांरटी देता है बल्कि इन्हें तोडने वाले को अदालत सजा भी देती है। आज सभी नागरिकों को मिलजुल कर देश की एकता और अखंडता को बरकरार रखने के लिए एक दूसरे का सहयोग करना होगा। इस अवसर पर जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के पैनल के सूरज गोयल एडवोकेट, अध्यापक व विद्यार्थी उपस्थित रहे।