पाली, राजस्थान/महेन्द्र कुमारः पिछले नौ माह से बंद पाली के कपड़ा उद्योग को हाल ही में आए एनजीटी के एक आदेश से उम्मीद की एक किरण जगी है। दो दिन पहले ही एनजीटी ने अलवर जिले के भिवाड़ी की कपड़ा इकाइयों पर जुर्माना लगाने के बाद सशर्त शुरू करने के आदेश दिए हैं। इससे पहले दो अन्य शहरों की इकाइयों को भी इसी प्रकार जुर्माने के बाद शुरू किया गया था। एेसे में एक बार फिर पाली के कपड़ा उद्योग में उम्मीद बंधी है। सोशल मीडिया पर बुधवार को कपड़ा उद्योग को राहत मिलने के खूब संदेश वायरल हुए। कई लोग भिवाड़ी के लिए आए आदेश को पाली पर लागू करने की बात कहते रहे। लेकिन शाम होते-होते स्थिति स्पष्ट हुई। कपड़ा उद्योग से जुड़े व्यापारियों का मानना है कि जिस प्रकार प्रदेश के अन्य शहरों की कपड़ा इकाइयों पर जुर्माना लगाया गया है और इसके बाद सशर्त शुरू करने को कहा गया है। उसी प्रकार पाली की कपड़ा इकाइयां भी शुरू हो सकती है।
इन शहरों पर लगा जुर्माना
बालोतरा की कपड़ा इकाइयों पर जुर्माना लगा और जेडएलडी पर शुरू करने को कहा गया।
जोधपुर की कपड़ा इकाइयों पर भी जुर्माना लगा और सशर्त शुरू किया गया।
अब भिवाड़ी की सीईटीपी को भी 10 लाख का जुर्माना लगाकर सशर्त संचालन को कहा गया है।
पाली की स्थिति भी एेसी ही
इन तीन शहरों की तरह पाली का कपड़ा उद्योग भी प्रदूषण की चपेट में आ रखा है। यहां भी नदी में प्रदूषित पानी प्रवाहित होने से मामला चर्चा में है। एेसे में उम्मीद यह लगाई जा रही है कि इसी तर्ज पर जुर्माने के साथ कुछ मोहलत या शर्त रख कर कपड़ा इकाइयां शुरू की जा सकती है।
इस प्रकार है कपड़ा उद्योग का गणित
9 माह से बंद है कपड़ा उद्योग
600 रेड श्रेणी की इकाइयां हैं पाली शहर में
5 ट्रीटमेंट प्लांट संचालन की स्थिति में
50 हजार श्रमिक जुड़े हुए हैं पाली से
20 करोड़ मीटर कपड़ा प्रोसेस होता था हर माह
4 अरब रुपए का हर माह बनता था कपड़ा
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बीते दिनों उद्यमियों और सीईटीपी ट्रस्टियों की ओर से केन्द्रीय विधि राज्य मंत्री पी.पी चौधरी से इस मामले में दखल देने को कहा गया था। इसके बाद नई दिल्ली में इस मामले से जुड़े अधिवक्ताओं से उन्होंने फीडबैक लिया। एेसे में संकेत हैं कि 30 मई से पूर्व फैसला जो कि दूसरी बार आरक्षित रखा गया है। वह आ सकता है।