नई दिल्ली। सरकार ने आज कहा कि चुनाव प्रणाली में समग्र सुधार किये जायेंगे लेकिन ऐसा विधि आयोग की रिपोर्ट प्राप्त होने और सभी पक्षों के साथ चर्चा के बाद ही किया जायेगा। आयोग जिन चुनाव सुधारों के बारे में विचार कर रहा है, उनमें चुनाव का सरकार की ओर से वित्तपोषण, राजनीति में साम्प्रदायिकता, नकारात्मक मतदान, उम्मीदवारों के आपराधिक रिकार्ड के विषय शामिल हैं। लोकसभा में विनायक भाउराव राउत और मेकापति राजमोहन रेड्डी के पूरक प्रश्न के उत्तर में विधि एवं न्याय मंत्री डी वी सदानंद गौडा ने कहा कि चुनाव सुधार का मुद्दा समग्र रुप से भारत के विधि आयोग की समीक्षा और उसकी रिपोर्ट आने के बाद लिया जायेगा।
विधि आयोग की रिपोर्ट प्राप्त होने पर सभी पक्षों और राजनीतिक दलों के साथ चर्चा के बाद ही इस विषय की समीक्षा की जायेगी। उन्होंने कहा कि अभी चुनाव में अनिवार्य मतदान के संबंध में कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। स्थानीय निकायों के चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा संचालित होते हैं जो एक पृथक संवैधानिक निकाय है। विधि मंत्री ने कहा कि जिन अन्य मुद्दों पर विचार किया जा रहा है, उनके संसद और राज्य विधानसभाओं के चुनाव साथ साथ कराने का विषय शामिल है। इस बारे में भी सभी पक्षों से विचार विमर्श के बाद ही कोई निर्णय किया जायेगा। उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों के गलत हलफनामा दायर करने के विषय पर भी विधि आयोग विचार कर रहा है जिसमें ऐसा करने वाले उम्मीदवारों को अयोग्य करना शामिल है।