वाशिंगटन। बेकार हो चुके लैपटॉप की बैटरियों में अब भी इतनी क्षमता होती है कि वे भारत एवं अन्य विकासशील देशों में झुग्गियों का अंधेरा दूर कर सकें। आईबीएम इंडिया द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है।
अमेरिका के सैन जोस में एक सम्मेलन में पेश किए गए अध्ययन पत्र में बेकार बैटरियों के नमूनों का विश्लेषण किया गया जिसमें पाया गया कि 70ः बैटरियों में एक एलईडी लाइट को एक दिन में चार घंटे से ज्यादा जलाने के लिए पर्याप्त बिजली होती है।
आईबीएम इंडिया के अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक, हर साल अनुमानित पांच करोड़ लिथियम-आयन लैपटाप बैटरियों को रद्दी में डाल दिया जाता है। ये बैटरियां विकासशील देशों में झुग्गियों को रोशन कर सकती हैं। एमआईटी प्रौद्योगिकी समीक्षा के मुताबिक, एलईडी लाइटों को सोलर पैनल और रीचार्जेबल बैटरियों से जोड़ना संभव है और इस तरह से बहुत सस्ते में इनका बढ़िया इस्तेमाल किया जा सकता है।