मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- ‘महिलाएं भी दे सकती हैं तीन तलाक’

नई दिल्ली/नगर संवाददाताः सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक को लेकर सुनवाई चल रही है। कल ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि मुस्लिम समुदाय में शादी एक समझौता है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि महिलाओं को भी पति को तीन तलाक कहने का हक है। पांच जजों की संविधान पीठ के सामने पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा, निकाह करने से पहले महिलाओं के सामने चार विकल्प होते हैं। जिनमें स्पेशल मैरेज ऐक्ट 1954 के तहत पंजीकरण का विकल्प भी शामिल है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यह भी बताया कि महिला भी अपने हितों के लिए निकाहनामा में इस्लामी कानून के दायरे में कुछ शर्तें रख सकती है। महिलाओं को पति को तीन तलाक कहने के हक के अलावा मेहर की बहुत ऊंची राशि मांगने जैसी शर्तों को शामिल करने जैसे दूसरे कई विकल्प भी हैं। कल मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि तीन तलाक आस्था का मामला है जिसका मुस्लिम बीते 1,400 वर्ष से पालन करते आ रहे हैं इसलिए इस मामले में संवैधानिक नैतिकता और समानता का सवाल नहीं उठता है। इस पर संविधान पीठ के सदस्य जस्टिस कुरियन जोसफ ने कहा, “हो सकता है ये परंपरा 1400 साल पुरानी हो। 1400 साल बाद कुछ महिलाएं हमारे पास आई हैं. हमें सुनवाई करनी होगी।” मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने तीन तलाक का बचाव करते हुए कहा कि तीन तलाक आस्था का विषय है इसलिए सुप्रीम कोर्ट को इसपर दखल नहीं देना चाहिए। हालांकि, सिब्बल ने ये माना कि मुसलमान एक साथ तीन तलाक को अवांछित मानते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here