वाराणसी, उत्तर प्रदेश/नगर संवाददाताः अगर साड़ियों की बात होती है तो बनारसी साड़ियों का नाम उनमें सबसे पहले लिया जाता है। उनकी गुणवत्ता सभी से बेहतर मानी जाती है। इसके अलावा वहां के अन्य वस्त्र भी गुणवत्ता के मामले में किसी से कम नहीं है। लेकिन पिछले कुछ समय से इनकी स्थिति बिगड़ती जा रही है। ऐसे में जापान आगे आया है और वो यहां के वस्त्र उद्योग का हाथ थामेगा। जापान का ये कदम लोग प्रधानमंत्री के उस कदम से जोड़ कर देख रहे हैं जिसमें, पीएम मोदी ने पिछले वर्ष जपान का दौरा किया था। अपने दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान टेक्सटाइल्स प्रॉडक्ट क्वालिटी एंड टेक्नोलॉजी सेंटर तथा मुम्बई वस्त्र मंत्रालय सरकार के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। उसी के चलते जापान के वस्त्र उद्योग के दो विशेषज्ञ बनारस आए और उन्होंने मुम्बई टेक्सटाइल्स कमेटी के साथ मिलकर कार्यशाला में भाग लिया। बनारस देश का सबसे बड़ा हस्तकरघा एवं हस्तशिल्प का केंद्र है। सबसे अधिक फायदा इस समझौते से बनारस को हो सकता है क्योंकि, इस समझौते के बाद यहां के हस्तनिर्मित वस्त्र जापान को निर्यात होंगे। गौरतलब है कि भारत से जापान में टेक्सटाइल्स के सेक्टर में जो निर्यात होता हैं वह लगभग एक प्रतिशत है, जिसे बढ़ाने के लिए इस दोनों देशों के बीच समझौता हुआ था। जापानी दल के सदस्यों ने इस कार्यशाला में बनारस के बुनकरों और साड़ी व्यवसायियों ने मिलकर अपने व्यापार के तरीकों के बारे में बताया और कहा कि किस तरह से उनके डिजाइन भिन्न होते हैं जापान के वस्त्रों से। उनका कहना हैं कि हमारा निर्यात तो एमओयू के तहत शुरू होने जा रहा है लेकिन भारत को हमारे निर्यात के लिए हमारे डिजाइन और गुणवत्ता के हिसाब से ही निर्यात करना होगा और यही बताने के लिए इस कार्यशाला का आयोजन हुआ है।