वाशिंगटन। अक्सर देखा गया है कि स्मोकिंग छोड़ने पर लोग ई-सिगरेट का सहारा लेने लगते हैं। उन्हें लगता है ई-सिगरेट की मदद से वे स्मोकिंग को धीरे-धीरे अपने से दूर कर देंगे, मगर ऐसा होता नहीं है। हाल ही में किया गया नया शोध इस बात इस बात को बताता है कि स्मोकर्स द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट का संबंध एक साल बाद स्मोकिंग को छोड़ने या सिगरेट पीने में कमी लाने से नहीं होता। यह दावा एक नए शोध में किया गया है।
प्रमुख शोधकर्ता और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के राशेल ए ग्राना ने कहा कि ई-सिगरेट को स्मोकिंग की लत छुड़वाने वाले उपकरण के तौर पर प्रचारित किया जाता है, लेकिन उसके प्रभावों पर किए गए शोध दुविधा में डालने वाले हैं।
कैसे किया अध्ययन: शोधकर्ताओं ने स्मोकिंग करने वाले 949 लोगों से एकत्रित आंकड़ों का विश्लेषषण किया कि क्या ई-सिगरेट का संबंध स्मोकिंग को छोड़ने या सिगरेट की कम खपत करने से है? शोधकर्ताओं ने पाया कम शिक्षित महिलाएं, युवा और वयस्क लोग ई-सिगरेट का ज्यादा उपयोग करते हैं।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, ई-सिगरेट का स्मोकिंग को एक साल या उसके बाद छोड़ने से कोई संबंध नहीं है। हमारे आंकड़ें इस बात के साक्ष्य हैं कि ई-सिगरेट के उपयोग से स्मोकिंग को छोड़ने की दर में वृद्धि नहीं होती। बल्कि यह पीने वालों में उतनी ही ललक पैदा करती है।
विज्ञापनों पर रोक जरूरी: शोधकर्ताओं ने कहा कि जब तक इसके वैज्ञानिक सबूत न मिल जाए अधिकारियों को उन विज्ञापनों पर रोक लगानी चाहिए जिसमें दावा किया जाता है कि ई-सिगरेट का उपयोग स्मोकिंग की लत को छुड़ाने में प्रभावी भूमिका निभाता है।