नई दिल्ली, नगर संवाददाता: राजधानी दिल्ली में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते लगाया गये नाईट कर्फ्यू का कोरोना की रोकथाम में कितना असर पड़ रहा है ये तो रोजाना बढ़ते आंकड़े बता रहे है। लेकिन दिल्ली के रेहड़ी पटरी वालों की हालत जरुर पतली होती जा रही है। दरअसल राजधानी के लाखों लोग केवल और केवल रात्रि का ही धंधा करते है। उनकी रोजी रोटी दिन छिपने के बाद ही शुरू होती है। नाईट कर्फ्यू के बाद उन्हें बमुश्किल दो से तीन घंटे का समय ही रोजी रोटी कमाने के लिए मिल पा रहा है। इस बाबत हमारी टीम ने की बड़ी संख्या में रेहड़ी पटरी वालों से बात। इस बाबत उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त की। जिसे हम आपके साथ कर रहें हैं साझा। काफी लोगों ने सरकार के इस फैसले को नासमझी भरा फैसला बताया और कहा रात के समय तो वैसे ही लोग बाहर नही निकलते तो नाइट कर्फ्यू का क्या मतलब। रात को जब कोई बाजार नही खुलते, कोई भीड़ इक्कठा नही होती तो नाइट कर्फ्यू किस तरह से कोरोना संक्रमण को रोकने में सफल होगा। इसके अलावा दिल्ली की गरीब जनता की आय व रोजगार पर भी नाइट कर्फ्यू का प्रभाव पड़ा है जैसे की वो लोग जो ठेली पटरी लगाते है, रिक्शा ऑटो चलाने वाले, खाने के स्टॉल लगाने वाले इत्यादि। आज भी हमारी दिल्ली में हजारों ऐसे लोग है जो की रोज कमाते है और खाते है, ठेली पटरी लगाने वाले लोगों पे नाइट कर्फ्यू का प्रभाव सबसे ज्यादा पड़ा है, ऐसे लोगों के लिए आए का स्रोत ही बंद हो गया।
रेहड़ी लगाने वाले श्याम लाल का कहना है की आखिर नाइट कर्फ्यू लगाने का क्या फायदा, रात को तो लोग वैसे भी घरों से बाहर नही निकलते है, इसके अलावा रात को थोड़ी ना कही भीड़ जमा होती है।
रेहड़ी वाले मुकेश का कहना है की गर्मियों में रात के समय लोग ठहलने के लिए निकलते थे तो हमारी भी कुछ बिक्री हो जाया करती। लेकिन अब तो रात को 9 बजे ही काम बंद करना पड़ता है, कभी कभी तो खाने का खर्चा ही निकल पाता है।
खाने का स्टॉल लगाने वाले सूरज ने कहा की एक तो कोरोना के डर से लोग बाहर का खाते ही नही, थोड़ी बहुत जो कमाई होती थी वो भी कोरोना के मामले बढ़ने की वजह से और ऊपर से नाइट कर्फ्यू के कारण बंद ही हो गई।
पानी की मशीन लगाने वाले राहुल नाइट कर्फ्यू के फैसले से बहुत निराश दिखे, उन्होंने कहा की ऐसे हालातों में काम करना बेहद मुश्किल है।
पटरी लगाने वाले मनीष ने कहा की बड़ी मुश्किल से लॉकडाउन के बाद थोड़ा काम शुरू हुआ था, रोज का खर्चा भी निकल जाए करता था लेकिन अब फिर से नाइट कर्फ्यू के चक्कर में सारा काम ही बंद हो गया।
योगेश ने दिल्ली सरकार के नाइट कर्फ्यू वाले फैसले को गलत ठहराते हुए कहा की कोरोना जैसी विकट परिस्थिति में रोजगार चलाना बहुत मुश्किल है। ऊपर से नाइट कर्फ्यू मुस्किले बड़ा देगा। लोगों की माने तो नाइट कर्फ्यू की वजह से प्रवासी मजदूरों के पलायन भी हो सकता है। ठेली पटरी लगाने वालों के अलावा रिक्शा और ऑटो चलाने वाले लोगों पर भी नाइट कर्फ्यू का असर पड़ा है।