नई दिल्ली, नगर संवाददाता: हौजखास परिसर में स्थित तीन गुंबद स्मारक के संरक्षण का कार्य पूरा कर लिया गया है। संरक्षण के अभाव में स्मारक लंबे समय से उपेक्षित था। गुंबद के बीच के हिस्से में बना सजावटी फूल टूट गया था। गुंबद के चारों ओर दीवारों पर लिखी कैलीग्राफी को पढ़ने में मुश्किल होती थी। लेकिन, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग ने गुंबद के ऐतिहासिक स्वरूप को फिर से लौटा दिया है।
संरक्षण का यह कार्य विशेषज्ञों की देखरेख में किया गया। एएसआई के एक अधिकारी ने बताया कि तीन गुंबद स्मारक परिसर में स्थित दूसरी स्मारकों से पूरी तरह से अलग है। टी आकार में यह स्मारक बनी हुई है जो भूल भुलैया की तरह लगती है। स्मारक के संरक्षण का कार्य पूरा कर लिया गया है। इसमें गुंबद के अंदर पत्थरों से बनी कैलीग्राफी को पढ़ने योग्य बनाया गया है। संरक्षण के अभाव में यह कैलीग्राफी दबी हुई थी।
सजावटी फूल का कुछ हिस्सा टूट गया था
गुंबद के बीच के हिस्से में सजावटी फूल था, जिसका कुछ हिस्सा झड़कर टूट गया था। उस टूटे हुए फूल के वास्तविक स्वरूप को वापस लौटाया, जो बेहद चुनौती वाला कार्य था। साथ ही गुंबद में प्लास्टर का कार्य भी किया गया है, जिससे बरसात के मौसम में पानी का रिसाव न हो। इस स्मारक की लंबाई 24.7 मीटर और चैड़ाई 6.7 मीटर है। अभी तक इस बात का पता नहीं चल पाया है कि इस इमारत का इस्तेमाल किस उद्देश्य के लिए किया गया होगा।
तुगलक वंश के पतन के बाद बंद हुई थी
कुछ लोग इसमें स्थित कई कब्रों की वजह से इसे मकबरा भी कहते हैं। हालांकि अब इसमें कब्रों का कोई वजूद नहीं है। जिस प्रकार से स्मारक की बनावट है उससे प्रतीत होता है कि यह मुलाकात स्थल या सभागार रहा होगा। तुगलक वंश के पतन के बाद से इस्तेमाल बंद हो गया।