गुरुग्राम, हरियाणा, नगर संवाददाता: प्रिस हत्याकांड मामले में आरोपित भोलू की जमानत अर्जी पर सोमवार को जिला अदालत में सुनवाई नहीं हो सकी। आगे सुनवाई की तिथि 15 मार्च निर्धारित की गई है। बचाव पक्ष ने यह तर्क देते हुए जमानत मांगी है कि जब मामले में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोपित चारों पुलिस अधिकारियों की जांच सही दिशा में थी तो फिर भोलू आरोपित कैसे? हालांकि पीड़ित पक्ष एवं सीबीआइ का तर्क है कि प्रदेश सरकार ने पुलिस अधिकारियों की जांच को सही नहीं ठहराया है बल्कि जजमेंटल एरर करार दिया है यानी सरकार का मानना है उसके अधिकारियों से न्याय की प्रक्रिया में त्रुटि हुई थी। बस सहायक को इरादतन आरोपित नहीं बनाया था।
सोहना रोड स्थित एक नामी स्कूल के छात्र प्रिस की आठ सितंबर 2017 को गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। मामले में स्कूल का ही छात्र भोलू आरोपित है। शुरुआत में मामले की जांच गुरुग्राम पुलिस ने की थी। उसने आरोपित के रूप में बस सहायक को गिरफ्तार किया था। सीबीआइ ने अपनी जांच में बस सहायक को निर्दोष मानते हुए आरोपित के रूप में भोलू को गिरफ्तार किया। वह तीन साल से न्यायिक हिरासत में है। उसकी जमानत अर्जी सर्वोच्च न्यायालय तक से खारिज हो चुकी है।
पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता सुशील टेकरीवाल का कहना है कि सीबीआइ की जांच के मुताबिक भोलू ही आरोपित है। उसे जमानत नहीं मिलनी चाहिए। प्रदेश सरकार ने भी माना है कि उसके अधिकारियों से न्याय की प्रक्रिया में त्रुटि हुई थी। हालांकि सीबीआइ जांच के मुताबिक गुरुग्राम पुलिस के अधिकारियों ने जानबूझकर बस सहायक को फंसाया था। जान-बूझकर फंसाने के कई सबूत हैं। इस आधार पर सभी के खिलाफ आपराधिक मामला चलना चाहिए। इसे लेकर ही उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की है।