माल भाड़ा और सवारी किराया बुद्धिमता से युक्तिसंगत बनाएंः संसदीय समिति

नई दिल्ली, नगर संवाददाता: एक संसदीय समिति ने सामाजिक बाध्यताओं की पूर्ति के लिए भारतीय रेलवे की सवारी गाड़ी सेवाओं को हो रहे नुकसान पर चिंता जताते हुए माल भाड़े और सवारी किराए को ‘‘बुद्धिमता’’ से युक्तिसंगत बनाने का सुझाव दिया है। रेलवे की स्थायी समिति ने रेल मंत्रालय की 2020-2021 की अनुपूरक मांगों में कहा कि रेलवे की सामाजिक बाध्यताओं के अवयवों पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। समिति ने संसद के बजट सत्र में अपनी रिपोर्ट सौंपी है। समिति ने कहा, ‘‘रेलवे की सवारी सेवा को उसकी सामाजिक बाध्यताओं की वजह से हो रहे नुकसान से समिति चिंतित है। इनमें वास्तविक मूल्य से कम किराया होना और अन्य छूट शामिल है। ‘‘ समिति ने कहा, ‘‘रेलवे की स्थिति यह है कि माल भाड़े में होने वाले फायदे से सवारी सेवा और कोच सेवाओं में हो रहे नुकसान की पूर्ति की जा रही है। इससे मालगाड़ी और सवारी सेवा दोनों को नुकसान हो रहा है। इसलिए मालगाडी और सवारी किराया दोनों को बुद्धिमता से युक्तिसंगत बनाया जाए।’’

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