नई दिल्ली, नगर संवाददाता: प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने केन्द्र और दिल्ली की सरकार की जनहित विरोधी निर्णयों के कारण आज देश और दिल्ली का हर वर्ग परेशान है। उन्होंने कहा कि यदि आज केन्द्र और दिल्ली की सरकारों में तुलना की जाए तो अधिकतर समानता ही दिखेंगी, क्योंकि दोनों ने ही झूठ का दुष्प्रचार करके सत्ता हासिल की है। संवाददाता सम्मेलन में पूर्व विधायक विजय लोचव और दिल्ली प्रदेश किसान सेल के चेयरमैन राजबीर सौलंकी भी मौजूद थे।
पवन खेड़ा ने कहा कि दिल्ली की अरविन्द सरकार ने पिछले 6 वर्षों से प्रदूषण का मुख्य कारक पराली को बताकर प्रदूषण पर नियंत्रण पाने की अपनी जिम्मेदारी से लगातार भाग रहे है। उन्हांने कहा पराली को डिकम्पोस करने के लिए पूसा डिकम्पोसर के प्रचार के लिए अरविन्द सरकार ने विज्ञापन पर लगभग 10 करोड़ रुपये खर्च किए। जबकि पराली को गलाने के प्रयोग किए जाने वाले घोल पर लगभग 75,780 रुपये खर्च हुए, जबकि इसकी तैयारियों जैसे ट्रैक्टर व टैंट पर 22.84 लाख रुपये खर्च किए। उन्होंने कहा कि 23.59 हजार के प्रोजेक्ट के प्रचार पर विज्ञापन के लिए लगभग 10 करोड़ रुपये के खर्च पर अरविन्द सरकार की नियत में साफ खोट नजर आता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली कांग्रेस यह मांग करती है कि इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए।
श्री खेड़ा ने कहा कि दिल्ली में कुल 5800 हेक्टेयर में धान की खेती होती है, जिसमें 800 हेक्टेयर पर नॉन-बासमती धान की खेती है, जिसकी पराली को खेत में ही जला दिया जाता है। केजरीवाल सरकार ने पराली को जलाने की जगह गलाने वाले एक क्रांतिकारी घोल को बनाने की घोषणा की जिसके जरिए पराली से होने वाले प्रदूषण को पूर्णतः खत्म करने की बात कही। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की घोषणा के लिए 39 गांव के 26 प्रतिशत 310 किसानों को ही इस योजना का फायदा मिला जबकि 1200 किसानों ने इस घोल के लिए पंजीकरण कराया था।
पवन खेड़ा ने कहा कि आई.ए.आर.आई. पूसा के मुताबिक एक हेक्टेयर में पराली को गलाने के लिए 4 केप्सयूल की जरुरत होगी, जिसके मुताबिक 800 हेक्टेयर के लिए सिर्फ 3200 केप्सयूल की जरुरत थी, परंतु सरकार ने 8000 केप्सयूल खरीदे। जिसकी जानकारी एक आरटीआई के माध्यम से मिली। उन्होंने कहा कि बचे हुए 4800 केप्सयूल का प्रयोग जब होना ही नही था तो इन्हें खरीदा क्यों गया और ये कहा गए? श्री खेड़ा ने कहा आश्चर्य जताते हुए कहा कि अरविन्द सरकार ने किन अध्यनां के बल पर यह दावा किया कि 20 दिन में पराली गल जाएगी। जबकि दिल्ली सरकार की 15 सदस्यीय समिति ने जो रिपोर्ट सरकार को सौंपी उसके अनुसार न तो 20 दिन में पराली गली और एक हेक्टेयर में 4 केप्सयूल की जगह 10 केप्सयूल का इस्तेमाल किया गया। श्री खेड़ा ने मांग की कि अरविन्द सरकार की पराली गलाने की झूठी रिपोर्ट किस मंशा से तैयार की और 4 की जगह 10 केप्सयूल का प्रयोग में हुए भ्रष्टाचार की भी सीबीआई जांच की जानी चाहिए।