नई दिल्ली, नगर संवाददाता: उच्चतम न्यायालय ने बेनामी संपत्ति, बेहिसाबी संपत्ति और काला धन जब्त करने का कानून बनाने की दायर याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून बनाना संसद का काम है। सीधे कोर्ट कोई कानून नहीं बना सकती।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऋषिकेष रॉय की पीठ ने याचिकाकर्ता को विधि आयोग को प्रतिवेदन देने की अनुमति दी। प्रतिवेदन में वर्तमान कानूनों में संशोधन करने या काला धन अर्जित करने के अपराध में उम्र कैद की सजा का प्रावधान करने की संभावना तलाशने का अनुरोध किया जा सकता है।
पीठ ने जनहित के मामले में याचिकाकर्ता भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय के अच्छे काम की सराहना की और यह भी कहा कि यह अब पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटीगेशन बनता जा रहा है। इस पर हम विचार नहीं कर सकते। पीठ ने कहा कि कानून बनाना संसद का काम है। हम संसद को कानून बनाने के लिये आदेश नहीं जारी कर सकते।