आरटीपीसीआर जांच की कीमत 800 रुपये तय करने पर सरकार से जवाब मांगा

नई दिल्ली, नगर संवाददाता: उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कोरोना की आरटीपीसीआर जांच की अधिकतम कीमत 800 रुपये तय करने पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। न्यायालय ने पैथोलॉजिस्ट एसोसिएशन की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। याचिका में कीमत में संशोधन करने की मांग की है।
जस्टिस नवीन चावला ने मामले में दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई 25 फरवरी से पहले अपना पक्ष रखने को कहा है। प्रैक्टिशिंग पैथोलॉजिस्ट एसोसिएशन ने याचिका में कहा है कि सरकार ने जांच की कीतम तय करते वक्त इसमें खपत होने वाली सामग्री के खर्च को शामिल नहीं किया है। इसमें यह भी कहा गया है कि ट्रूनेट और सीबीनेट प्रणाली से होने वाली जांच की कीमत की सीमा तय नहीं की जा सकती है। ट्रूनेट और सीबीनैट प्रणाली से कोरोना की जांच का परिणाम क्रमशः 98 और 100 फीसदी सत्य होता है, जबकि आरटीपीसीआर प्रणाली से महज 67 से 70 फीसदी ही सही परिणाम की उम्मीद रहती है। ट्रूनैट और सीबीनैट जांच पर अनुमानित लागत क्रमशः 2000 रुपये और 3,500 रुपये व आरटीपीआरसी की 1,200 रुपये की राशि से अधिक है। वहीं, सरकार की ओर से अधिवक्ता रमेश सिंह और गौतम नारायण ने न्यायालय को बताया कि 800 रुपये की कीमत सिर्फ आरटीपीसीआर प्रणाली की जांच पर लागू होगी। ट्रूनैट और सीबीनैट प्रणाली से होने वाली जांच पर यह दर लागू नहीं होती है। उच्च न्यायालय ने कहा कि तीनों जांच एक समान नहीं है, ऐसे में इनके लिए एक समान मूल्य तय नहीं किया जा सकता है।

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