नई दिल्ली, नगर संवाददाता: दिल्ली सरकार ने उत्तरी नगर निगम द्वारा दक्षिणी नगर निगम पर बकाया 2400 करोड़ रुपये माफ कर देने के मामले के जांच के आदेश दिए हैं। शहरी विकास मंत्री सत्येंद्र जैन ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (शहरी विकास विभाग) से जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा है। इस संबंध में शुक्रवार को शहरी विकास मंत्री जैन ने प्रेसवार्ता में जानकारी दी।
जैन ने कहा कि मीडिया के जरिये यह पता चला है कि उत्तरी नगर निगम ने अपने पैसे का सही इस्तेमाल नहीं किया है। उन्होंने कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम पहले से ही खुद को आर्थिक तंगी में बता रही है और अपने डॉक्टर, नर्स और स्टाफ का वेतन समय पर देने में असमर्थ है। वह 2400 करोड़ रुपये जैसी बड़ी राशि हेराफेरी कैसे कर सकता है। इसकी सख्ती के साथ जांच के लिए आदेश दिए गए हैं। जैन ने कहा कि नगर निगम में सत्तासीन भाजपा केवल दिल्ली सरकार पर झूठे आरोप लगाती है।
हम समय से पहले ही अपने हिस्से के सारे पैसे नगर निगमों को दे देते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के ऊपर नगर निगमों का कोई पैसा बकाया नहीं है, बल्कि दिल्ली सरकार को ही नगर निगमों से कई करोड़ की राशि लेनी है। जो कि हमने उन्हें ऋण के रूप में दी थी। मंत्री ने कहा कि यह अभी हम उनसे मांग भी नहीं रहे हैं। इसका हिसाब हम बाद में करेंगे। नगर निगमों को केंद्र से पैसा मांगना चाहिए जैन ने कहा कि नगर निगमों को पैसा केंद्र सरकार से मांगना चाहिए। जैन ने कहा कि पिछले निगम चुनाव में भाजपा के लोग कहते थे कि वे नगर निगमों के लिए केंद्र सरकार से पैसा लेकर आएंगे।
उनको केंद्र सरकार से लेना चाहिए। दिल्ली सरकार को जो भी वित्त आयोग के हिसाब से पैसा देना होता है, वह दिया जा रहा है। बल्कि हमने उनको ऋण दे रखा है और वह ऋण रिकवर करना है जो अभी हमने नहीं किया है। जैन ने कहा कि दिल्ली की जनता करोड़ो रुपये केंद्र को टैक्स के रूप में देती है। टैक्स वसूली का 42 फीसद राज्यों को वापस मिलता है। जबकि दिल्ली को कुछ भी नहीं मिला है। अब अगर दिल्ली सरकार अब तक का सारा पैसा जोड़कर ये बात कहे कि यह राशि केंद्र सरकार वापस दे तो फिर कई लाख-करोड़ इकट्ठे हो जाएंगे। इसका हिसाब लगाना भी मुश्किल है।