चेन्नई/नगर संवाददाता : चंद्रयान-2 के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईएसआरओ) ने बुधवार सुबह नौ बजकर 28 मिनट पर अपने महत्वाकांक्षी मिशन
कार्टोसैट-3 के प्रक्षेपण किया। जानिए इसरो के इस महत्वकांक्षी अभियान से जुड़ी 10 खास बातें.
कार्टोसैट-3 तीसरी पीढ़ी का बेहद चुस्त और उन्नत उपग्रह है जिसमें हाई रिजोल्यूशन तस्वीर लेने की क्षमता है।
इसका कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष से जमीन पर 1 फीट से भी कम (9.84 इंच) की ऊंचाई तक की तस्वीर ले सकेगा।
कार्टोसैट-3 सैटेलाइट सेना के लिए बेहद मददगार साबित हो सकता है। हाल ही में पाकिस्तान पर हुए सर्जिकल और एयर स्ट्राइक के लिए कार्टोसैट उपग्रहों की मदद ली गई थी।
कार्टोसेट-3 को अंतरिक्ष में 509 किलोमीटर दूर 97.5 डिग्री के झुकाव के साथ कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
इसका भार 1,625 किलोग्राम है। किसी भी आपदा के वक्त यह राहत और बचाव में मदद करेगा।
यह बड़े पैमाने पर शहरी नियोजन, ग्रामीण संसाधन और बुनियादी ढांचे के विकास, तटीय भूमि के उपयोग तथा भूमि कवर के लिए उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग को पूरा करेगा।
कार्टोसैट-3 का जीवनकाल 5 साल का होगा। यह कार्टोसैट सीरीज का नौवां उपग्रह है।
पीएसएलवी-सी47 कार्टोसैट-3 के साथ अमेरिका के वाणिज्यिक उद्देश्य वाले 13 छोटे उपग्रहों को लेकर अंतरिक्ष में गया।
यह उपग्रह पहले 25 नवंबर को लांच होना था लेकिन बाद में इसकी तारीख बदलकर 27 नवंबर कर दी गई।
इसरो प्रमुख के. शिवन ने देश के इमेजिंग उपग्रह कार्टोसैट-3 की सफलता के लिए मंगलवार सुबह यहां भगवान वेंकटेश्वर की पूजा-अर्चना की।