असम/गुवाहाटी, नगर संवाददाता: गुवाहाटी। असम के लोगों के लिए शनिवार का दिन महत्वपूर्ण है। करीब 41 लाख लोगों की सांसें अटकी हुई हैं कि उनका नाम आज जारी होने वाली राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर(एनसीआर) की अंतिम लिस्ट में शामिल होगा या नहीं। पिछले वर्ष 30 जुलाई को प्रकाशित मसौदे में इन लोगों के नाम शामिल नहीं थे। मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लोगों को भरोसा दिलाया है कि किसी को डरने की आवश्यकता नहीं है। सिर्फ एनसीआर में नाम नहीं होने के कारण किसी को विदेशी या बाहरी नहीं मान लिया जाएगा। इसका फैसला समुचित कानूनी प्रक्रिया के बाद सिर्फ फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल (एफटी) लेगा।
सतर्कता के लिए धारा 144 लागू: शनिवार को अंतिम एनसीआर के प्रकाशन के मद्देनजर राज्य प्रशासन ने गुवाहाटी समेत सभी संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लागू कर दी है। मुख्यमंत्री के अनुसार केंद्र सरकार ने राज्य प्रशासन की सहायता के लिए पर्याप्त संख्या में अर्धसैनिक बल मुहैया कराए हैं। प्रत्येक जिले में उपायुक्तों और एसपी को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
1951 के बाद पहली बार हो रही है पहचान: असम में 1951 के बाद पहली बार नागरिकता की पहचान की जा रही है। असम में बड़ी संख्या अवैध तरीके से लोग रह रहे हैं। एनसीआर का फाइनल अपडेशन सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रहा है। 2018 में एनसीआर लिस्ट में 3.29 करोड़ लोगों में से 40.37 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं थे। अब फाइनल एनसीआर लिस्ट में उन लोगों के नाम शामिल किए जाएंगे, जो 24 मार्च 1971 से पहले असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं। उनकी नागरिकता की जांच सरकारी दस्तावेजों से की गई है।
जिनके नाम नहीं होंगे उनका क्या?: असम सरकार का कहना है कि एनसीआर से बाहर होने का यह अर्थ यह नहीं है कि कोई व्यक्ति अपने आप विदेशी बन जाएगा। अगर फिर भी किसी व्यक्ति को विदेशी घोषित कर दिया जाता है तो वह एफटी के आदेश को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकता है।
एनसीआर से बाहर रह गए गरीब लोगों को सरकार कानूनी सहायता देगी ताकि वे एफटी और ऊंची अदालतों में अपने केस लड़ सकें। केंद्र सरकार ने एफटी में अपील की अवधि पहले ही 60 दिन से बढ़ाकर 120 दिन कर दी है।