नई दिल्ली/नगर संवाददाताः दिल्ली हाईकोर्ट ने एक आदेश में साफ किया है कि नोटबंदी के बाद पांच सौ व एक हजार के नोट अवैध मुद्रा है और यह अदालत के खजाने में जमा नहीं किए जाएंगे। न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने कहा कि कोई भी न्यायिक अधिकारी इस मुद्रा को स्वीकार करने की छूट प्रदान नहीं करेगा। कोर्ट ने एक मामले में निचली अदालत द्वारा बतौर जुर्माने के रूप में पुराने नोट स्वीकार करने के आदेश को गलत ठहराते हुए यह आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा जब एक बार केंद्र सरकार ने पांच व एक हजार के नोट को अवैध मुद्रा घोषित कर दिया तो अदालत उसे कैसे स्वीकार कर सकती है। निचली अदालत ने एक आरोपी को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराते हुए उसे जुर्माने की राशि पुराने नोट में जमा करवाने की इजाजत प्रदान कर दी थी। अदालत ने हाई कोर्ट रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह इस फैसले की प्रति तुंरत संबंधित न्यायाधीश के साथ-साथ सभी जिलों के जिला न्यायाधीशों व अन्य न्यायिक अधिकारियों को भेजें। सभी को सूचित किया जाए कि वे पुराने नोट के रूप में किसी को भी छूट प्रदान न करें। अदालत के खजाने में पुराने नोट जमा करवाने की अनुमति नहीं होगी। अदालत ने कहा कि निचली अदालत के विशेष न्यायाधीश ने पुराने नोट लेने के लिए जो तर्क दिए हैं वे स्पष्ट रूप से न्यायिक क्षमता के खिलाफ है। किसी भी मुद्रा को बंद करने का निर्णय विशुद्ध रूप से एक कार्यकारी कार्य है और अदालत का इस मामले में कदम रखना उचित नहीं है। विशेष न्यायाधीश द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देश अपने अधिकार का स्पष्ट अपराध है।