नई दिल्ली। दूरसंचार नियामक ट्राई के प्रमुख राहुल खुल्लर ने जन धन योजना की सफलता के लिए अधिक से अधिक ब्राडबैंड पहुंच की जरूरत बताते हुए आज कहा कि अन्यथा वित्तीय समावेशन की यह योजना मन के लड्डू बनकर रह जाएगी। उन्होंने कहा कि केवल बैंक खाते खोलने से उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
खुल्लर यहां एसोचैम के एक कार्य्रकम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, हमारे पास जनधन योजना है। मुझे बताया गया है कि बड़ी संख्या में बैंक खाते खोले गए हैं और मुझे यह भी बताया गया है कि इनमें से बहुत से खाते निष्क्रिय हैं। खुल्लर ने कहा, केवल उसके बारे में बात कर या केवल बैंक खाते खोलने से आपको काम नहीं बनेगा।
अगर आप 10 करोड़ खाते खोलते हैं और उनमें से ज्यादातर निष्क्रिय हैं तो ऐसा केवल भारतीय में ही हो सकता है कि आप इसपर अपनी पीठ थपथपा लें. इसमें बड़ी बात क्या है। परिणाम क्या निकला, अगर शुद्ध परिणाम यह है इस पर किसी को भरोसा नहीं है..। इस मुद्दे पर कड़ी टिप्पणी करते हुए ट्राई के चेयरमैन ने कहा कि वित्ती समावेशन के सारे मुद्दे पर नये सिरे से विचार किए जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, अगर आम वित्तीय समावेशन को लेकर गंभीर हैं तो हमें वित्तीय समावेशन को इलेक्ट्रानिक बैंकिंग व मोबाइल वालेट की संकुचित सोच से हटकर देखना होगा। ये सभी अच्छी और बढिया चीजे हैं लेकिन क्षमा करें हम खुद को ही मूर्ख बना रहे हैं। इसका वित्तीय समावेशन से कोई लेना देना नहीं।
खुल्लर ने कहा, अगर आप वित्तीय समावेशन के बारे में गंभीरता से बात करना चाहते हैं तो आपको आधार जैसी चीजों के बारे में बात करनी होगी। 45-46 साल गुजर गए हैं और सार्वजनिक बैंकों ने कोई खराब काम नहीं किया लेकिन उन्होंने कोई महान काम भी नहीं किया। आपने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया, आपने इनकी शाखाएं खाले दी लेकिन इसका परिणाम क्या निकला। खुल्लर ने कहा कि बैंक खाता खोलना वित्तीय समावेशन की प्रक्रिया में पहला कदम है और बैंकरों को ऐसी प्रणाली बनानी होगी ताकि ग्राहक अपने खाते का इसतेमाल करने के इच्छुक हों।
ट्राई के चेयरमैन ने कहा कि अगर ब्राडबंड का प्रसार नहीं हुआ तो आईटी व मोबाइल फोन के जरिए वित्तीय समावेशन मन के लड्डू भर रह जाएगा। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनधन योजना की शुरआत पिछले साल अगस्त में की थीं इसके तहत दिसंबर तक 10 करोड़ बैंक खाते खोले गए।