बल्लभगढ़, नगर संवाददाता: गांव में नंबरदारों की नई नियुक्ति पर सरकार पुनर्विचार कर रही। इस बारे में सरकार ने अधिकारियों को पत्र लिखा है। फिलहाल नई नियुक्तियों को लंबित कर दिया है।
अंग्रेजों ने जमीन संबंधी मामले में गांव के अंदर पटवारियों की मदद करने के लिए नंबरदारों की नियुक्ति की थी। नंबरदारों की मदद से हर व्यक्ति की पहचान अंग्रेजों तक पहुंच जाती थी। तब से इन नंबरदारों की नियुक्ति लगातार होती रही है। नंबरदारों से पहले सरकार आबियाना एकत्रित भी कराती थी। नहरों के पानी से खेतों की सिचाई करने का किसानों से राजस्व भी नंबरदार ही एकत्रित करके सरकारी खजाने में जमा कराते थे। नंबरदारों को
पहले सरकार आबियाना और नहरी पानी की सिचाई से मिलने वाले राजस्व में से ही कुछ अंश मानदेय के रूप में देती थी। अब सरकार ने नंबरदारों को 2500 रुपये हर महीने मानदेय के रूप में देती है। अंग्रेजों के समय में नंबरदार सिर्फ माल के( जिनके पास जमीन होती) होते थे। अब सरकार ने गांव में नंबरदारों की संख्या बढ़ाते हुए पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति वर्ग के बना दिए। ये नंबरदार आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, रिहायशी प्रमाण पत्र के बारे में तसदीक करते हैं। इनकी तसदीक के आधार पर आवेदक से संबंधित सर्कल का पटवारी अपनी रिपोर्ट लिखता है। पटवारी की रिपोर्ट पर तहसीलदार प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, रिहायशी प्रमाण पत्र बनाकर देता है। अब सरकार ने हर व्यक्ति की पहचान का आधार कार्ड, परिवार पहचान पत्र बना दिया है। इसलिए अब सरकार नंबरदारों की ज्यादा तसदीक कराने की आवश्यकता नहीं समझती। इस मामले में सरकार ने मंडलायुक्त, उपायुक्त व अन्य अधिकारियों को पत्र भेजे हैं।
सरकार नंबरदारों की नई नियुक्ति के बारे में पुनर्विचार कर रही है। सरकार ये पता लगा रही है कि कितने नंबरदारों की जरूरत है। इसका सही से पता चलने के बाद ही सरकार नई नियुक्ति के बारे में फैसला लेगी।