विमानों के रखरखाव में आत्मनिर्भर बनाएगा जेवर एयरपोर्ट

ग्रेटर नोएडा, नगर संवाददाता: जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के साथ एक एमआरओ (मेंटिनेंस, रिपेयरिंग और ओवरहॉलिंग) हब भी बनेगा। यहां पर विमानों का रखरखाव हो सकेगा। देश में अभी यह उद्योग छोटे स्तर पर है और विमानों के बेहतर रखखाव के लिए हम विदेशों पर निर्भर हैं। एमआरओ हब बनने से देश इस क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनेगा। इससे निवेश तो आएगा ही, साथ हर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 नवंबर को जेवर एयरपोर्ट की आधारशिला रखेंगे। यह भारत का ही नहीं, बल्कि पूरे एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा। यहां पर एमआरओ हब भी विकसित किया जाएगा। देश में विमानों का रखरखाव अभी बहुत ही छोटे स्तर पर किया जाता है। दिल्ली, मुंबई, नागपुर, कोलकाता, तिरुवंतपुरम और हैदराबाद में इससे जुड़ा थोड़ा बहुत काम होता है। यह काम एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज लिमिटेड, एयर वर्क्स इंडिया (इंजीनियरिंग) प्राइवेट लिमिटेड, इंडैमर प्राइवेट लिमिटेड, डेक्कन चार्टर, जीएमआर एयरो टेक्निक लिमिटेड, मैक्स एमआरओ प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां कर रही हैं, लेकिन अब इसे बड़े स्तर पर किया जाना है, क्योंकि अभी विमानों के रखरखाव के लिए विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता है।

इसे देखते हुए जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के साथ एक एमआरओ हब भी बनेगा। हवाई जहाज के लिए एमआरओ उद्योग स्थापित किया जाएगा। इसके लिए यमुना प्राधिकरण ने जमीन आरक्षित कर दी है। जेवर हवाई अड्डे के लिए तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता रिपोर्ट के अनुसार भारत से निकलने वाली एमआरओ बाजार की मांग वर्ष 2036 तक पांच बिलियन डॉलर तक जाने की उम्मीद है। वर्तमान में देश में केवल 10 प्रतिशत एमआरओ बाजार पर कब्जा है, शेष देश के बाहर किया जा रहा है। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में एमआरओ हब विकसित होने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। देश-विदेश से निवेश आएगा। यहां पर एमआरओ में काम करने वाली बड़ी विदेशी कंपनियों के आने की उम्मीद है। कंपनियों ने यहां पर संपर्क कर लिया है। जल्द ही वह अपना आगे की प्रक्रिया बढ़ाएंगी।

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