नई दिल्ली, नगर संवाददाता: दिल्ली के निर्माण श्रमिकों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए केजरीवाल सरकार ने ‘श्रमिक मित्र’ योजना लॉंच की। इस योजना के तहत 800 ‘श्रमिक मित्र’ निर्माण श्रमिकों के घर तक पहुँच उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ने का काम करेंगे व उन्हें दिल्ली सरकार द्वारा श्रमिकों के हित में शुरू किए गए योजनाओं की जानकारी देंगे और ये सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी श्रमिक सरकार द्वारा मिलने वाली किसी भी सहायता से वंचित न रहे। सोमवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की उपस्थिति में इस प्रोग्राम को लांच किया गया। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जिन्हें कुदरत ने ज्यादा नहीं दिया, उनके सपने पूरा करने का काम केजरीवाल सरकार करेगी। उन्होने कहा कि हमें अपनी योजनाओं के माध्यम से श्रमिकों के मन में ये आत्मविश्वास जगाना है कि उनकी मदद के लिए केजरीवाल सरकार हमेशा उनके कंधे से कन्धा मिलाकर खड़ी है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि श्रमिकों के लिए सरकार योजनाएँ तो बनती है लेकिन श्रमिकों को इसकी जानकारी नहीं होती है। इसे देखते हुए इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई जिसका उदेश्य श्रमिकों को समय पर इन योजनाओं का लाभ पहुँचाना और उन्हें जागरूक करना है। उन्होंने साझा किया कि इस कार्यक्रम के तहत 700 से 800 श्रमिक मित्रों को तैयार किया जाएगा। जो डिस्ट्रिक्ट,विधानसभा और वार्ड कोर्डिनेटर के रूप में काम करेंगे। ये सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी वार्ड में कम से कम 3-4 श्रम मित्र हो जो निर्माण श्रमिकों की सहायता कर सके। इन श्रम मित्रों का कार्य वार्ड लेवल पर कंस्ट्रक्शन बोर्ड द्वारा रजिस्टर्ड निर्माण श्रमिकों को सरकार द्वारा निर्माण श्रमिकों के लिए बनाई गई सहायता योजनाओं की जानकारी पहुँचाना, उसके लिए आवेदन करवाना और जबतक श्रमिकों को योजना का लाभ नहीं मिल जाता है तबतक उनकी सहायता करना है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि “मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी का मानना है कि जिन्हें कुदरत ने कम दिया है, उन्हें कानून से ज्यादा मिले।” इसलिए केजरीवाल सरकार श्रमिकों को साथ कंधे से कन्धा मिलाकर खड़ी है और हमेशा उनकी बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि श्रमिकों के बच्चों में टैलेंट तो होता है लेकिन वो बड़े सपने देखने से डरते है। दिल्ली सरकार का उद्देश्य श्रमिकों में ये आत्मविश्वास जगाना है कि उनके सभी सपनों को पूरा करने के लिए केजरीवाल सरकार उनके साथ है। उन्हें ये भरोसा दिलाना है कि आईआईटी जैसे संस्थान बनाने वाला एक श्रमिक का बच्चा भी आईआईटी में पढ़ सकता है। वो पढ़ाई करें और सरकार उसकी मदद करेगी। उन्होंने कहा कि जिन श्रमिकों से देश में संसद से लेकर सड़क तक बनाई है वो समाज में कहीं न कहीं हाशिए पर है और ये आज समाज की कडवी सच्चाई है। दिल्ली सरकार अपने लाभकारी योजनाओं के द्वारा इस कडवी सोच में मिठास लाने का काम कर रही है।
श्रमिकों को दिल्ली सरकार से मिलने मिलने वाली सहायता के तहत घर निर्माण के लिए 3 लाख से 5 लाख रुपये,मातृत्व लाभ में 30000 रुपये, टूल खरीदने के लिए 20000 रुपये का लोन व 5000 रुपये की सहायता राशि, श्रमिकों के प्राकृतिक मृत्यु पर 1 लाख व दुर्घटना मृत्यु पर 2 लाख की सहायता राशि, अपंग हो जाने पर 1 लाख की सहायता राशि व 3000 रुपये प्रतिमाह पेंशन, बच्चों की स्कूली शिक्षा व उच्च शिक्षा के लिए 500 से 10000 रुपये प्रतिमाह, श्रमिकों व उनके बच्चों के विवाह के लिए 35000 से 51000 रुपये की सहायता राशि, मेडिकल असिस्टेंस के लिए 2000 रूपये, वृद्धावस्था पेंशन के रूप में 3000 रुपये प्रतिमाह(हर साल 300 रूपये की वृद्धि) की सहायता राशि दी जाती है।
उल्लेखनीय है कि केजरीवाल सरकार द्वारा शुरू किए गए विभिन्न रजिस्ट्रेशन कैम्पस के माध्यम से दिल्ली में अबतक लगभग 6 लाख निर्माण श्रमिक निर्माण बोर्ड के साथ रजिस्टर्ड हो चुके है।