नई दिल्ली, नगर संवाददाता : पूर्व विधायक अनिल भारद्वाज ने कहा कि भाजपा की केन्द्र सरकार और दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार कोविड की मार से त्रस्त दिल्लीवासियां को त्यौहारों के सीजन में भी राहत देने की बजाय लगातार पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी करके अमानवीय और गैरजिम्मेदाराना रवैये का परिचय दे रही है। श्री भारद्वाज ने कहा कि आम आदमी पार्टी की केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है। उन्होंने कहा कि 69000 करोड़ के बजट के साथ दिल्ली सरकार के पास सरप्लस बजट है, जबकि कांग्रेस की दिल्ली सरकार के पास 37400 करोड़ कुल बजट था। केजरीवाल सरकार को मानवीय आधार पर पेट्रोल और डीजल पर उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए वेट में कटौती करने के लिए नीति बनाकर 2013 की कांग्रेस सरकार के आधार पर वेट लागू करना चाहिए, जिससे दिल्ली में पेट्रोल और डीजल की दरों में राहत मिल सके। कांग्रेस शासन में 2013 में पेट्रोल पर वेट 20 प्रतिशत और डीजल पर 12.5 प्रतिशत वसूला जाता है जबकि वर्तमान में केजरीवाल सरकार पेट्रोल पर वेट 30 प्रतिशत और डीजल पर
वेट 16.75 प्रतिशत वसूल रही है। अनिल भारद्वाज ने कहा कि पेट्रोल, डीजल और सीएनजी के दाम बढ़ाने का सीधा असर पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर पड़ता है जिससे घरेलू इस्तेमाल, फल, सब्जियां और रोजमर्रा की वस्तुओं के दाम सीधे तौर पर बढ़ने के कारण गरीब आदमी जेब पर असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि केन्द्र और दिल्ली की सरकार की नीति और नियत में साफ नही होने कारण देशवासियां पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है जबकि केन्द्र सरकार ने पिछले 7 सालों में 23.25 लाख करोड़ रुपये और केजरीवाल सरकार ने 25,000 करोड़ रुपये पेट्रोलियम पदार्थों पर राजस्व एकत्रित किया है। अनिल भारद्वाज ने कहा कि रसोई गैस सिलेंडर 15 रुपये की वर्तमान बढ़ोतरी के साथ 899.50 रुपये हो गया है जबकि एक साल में 205 रुपये की बढ़ोतरी हुई जबकि 2014 कांग्रेस शासन में एलपीजी के दाम 414 रुपये थे, जबकि नवम्बर 2020 से रसोई गैस के दाम 594 रुपये प्रति बढ़ाकर गृहणी की कमर तोड़ दी है। उन्होंने कहा कि भाजपा की मोदी सरकार ने 7 वर्षों में रसोई गैस, पेट्रोल, डीजल के दाम दुगने से भी अधिक कर दिए है। अनिल भारद्वाज ने दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय पर कटाक्ष करते हुए कहा कि प्रदूषण नियंत्रण करने का स्थायी हल निकालने की बजाय दिल्ली सरकार धूल कणों से होने वाले प्रदूषण मुख्य तौर पर दिल्ली में प्रदूषण का कारण बता रहे है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और पर्यावरण मंत्री को दिल्ली में प्रदूषण के मुख्य कारण वाहन प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कोई कारगर नीति बनाई जानी चाहिए जिसकी प्रदूषण में 41 प्रतिशत की भागीदारी है।