नई दिल्ली, नगर संवाददाता: राष्ट्रीय राजधानी में लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद बाजारों में एक बार फिर भीड़ उमड़ने के बीच दिल्ली के व्यापार संगठनों ने मंगलवार को कहा कि उनके लिए भीड़ को नियंत्रित करना संभव नहीं है और इसकी जिम्मेदारी प्रशासन एवं कानून लागू करने वाली एजेंसियों की है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली के विभिन्न बाजारों में कोविड-19 प्रोटोकॉल के उल्लंघन का संज्ञान लिया था और कहा था कि इस तरह से भीड़ एकत्र होने पर तीसरी लहर को नहीं रोका जा सकता, जिसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। अदालत ने केंद्र एवं दिल्ली सरकार को कड़े उपाय करने के साथ ही दुकानदारों को जागरूक करने को भी कहा था।
चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष बृजेश गोयल ने कहा कि व्यापारी कोविड-19 बचाव नियमों का अनुपालन केवल अपनी दुकानों, कार्यालयों या गोदामों में ही सुनिश्चित कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ पुलिस एवं प्रशासन को सड़कों एवं अन्य सार्वजनिक स्थानों पर कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन सुनिश्चित करना पड़ेगा। अधिकारियों को भीड़ नियंत्रण के तरीके तलाशने के लिए बाजार संगठनों के साथ बैठक करनी चाहिए।’’
सरोजिनी नगर मिनी मार्केट ट्रेडर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक रंधावा ने भी कहा कि दुकानों के बाहर भीड़ को नियंत्रित करने की उम्मीद दुकानदारों से नहीं की जा सकती।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा मकसद केवल यह है कि हमें रोजाना कुछ ग्राहक मिल जाएं। हमने यह सुनिश्चित किया है कि एक समय में दुकान के भीतर तीन से अधिक ग्राहक नहीं हों और दुकान बड़ी है तो पांच से अधिक ग्राहक नहीं हों। अगर हमें बाहर भी भीड़ को नियंत्रित करना होगा तो फिर दुकान कौन संभालेगा।’’
चांदनी चैक सर्व व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय भार्गव ने ई-रिक्शा और अवैध अतिक्रमण के चलते समस्याएं और बढ़ने की ओर इशारा किया।
उन्होंने कहा, ‘‘ हम लगातार देखते हैं कि ई-रिक्शा पर 8-10 लोग बैठे होते हैं। अवैध अतिक्रमण भी भीड़ बढ़ने का कारण बनता है। इसके लिए दुकानदार कैसे जिम्मेदार हो सकते हैं? मैंने हाल ही में अधिकारियों के साथ हुई बैठक में सुझाव दिया था कि 15 अगस्त तक बाजारों को ऑड-ईवन प्रणाली का पालन करना चाहिए, इससे भीड़ को नियंत्रित करने के साथ ही तीसरी लहर के खतरे को कम किया जा सकता है।’’