नई दिल्ली, नगर संवाददाता: महिलाओं की तुलना में 40 वर्ष से अधिक उम्र वाले पुरुषों में मुख कैंसर का खतरा दोगुने से अधिक होने की आशंका है। इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल द्वारा किए अनुसंधान में यह बात सामने आई है। इसके अनुसार मुख कैंसर के 25 फीसदी मरीजों ने कभी धूम्रपान भी नहीं किया है, इसके बावजूद मुख कैंसर की पुष्टि हुई।
अपोलो अस्पताल के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर प्रवीण कुमार गर्ग ने एक 42 वर्षीय मरीज के मामले के बारे में बताया कि मरीज ने कभी भी तंबाकू या शराब का सेवन नहीं किया था। पिछले दो महीनों से उन्हें जीभ पर अल्सर की शिकायत थी। यह अल्सर खुला घाव बन गया, जो ठीक नहीं हो रहा था। जांच करने पर पता चला कि यह व्यक्ति एक नुकीले दांत की अनदेखी कर रहा था, जो लगातार त्वचा को भेद रहा था। जिस कारण मरीज की जीभ पर स्थायी घाव बन गया।
मरीज की बायोप्सी करने पर पता चला कि वह स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा से पीड़ित है। जो त्वचा और मुख कैंसर का दूसरा सबसे मुख्य कारण है। इसका समय पर इलाज न होने की स्थिति में यह ऊतकों और हड्डियों में फैल सकता है। ऐसे मामलों में सर्जरी से कैंसर निकालना बहुत मुश्किल होता है। मरीज को फरवरी में सर्जरी के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया। गले में जीभ और ग्लैंड का एक हिस्सा निकाल दिया गया।
उन्होंने बताया कि मुख कैंसर के कई कारण हो सकते हैं। ओरल हाइजीन पर ध्यान न देना इसका एक मुख्य कारण है। लोगों को सलाह दी जाती है कि वह कम से कम छह महीने में अपने मुख की जांच कराएं। दिन में दो बार दांत साफ और फाइबर युक्त आहार ले। साथ ही चीनी से युक्त पेय पदार्थों के सेवन से बचे। 20 मार्च को वर्ल्ड ओरल हेल्थ दिवस मनाया जाएगा।