महिला का पक्ष सुने बिना फैसले को अमान्य ठहराया

नई दिल्ली, नगर संवाददाता: उच्च न्यायालय ने परिवार अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें कोरोना के चलते महिला के पेश नहीं होने पर पति की ओर से दाखिल तलाक की याचिका को मंजूरी दे दी थी। न्यायालय ने कहा कि परिवार न्यायालय के फैसले को बरकरार नहीं रखा जा सकता है, क्योंकि महिला को पति द्वारा दाखिल तलाक की याचिका पर पक्ष रखने के लिए मौका नहीं मिला।

जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की पीठ ने परिवार न्यायालय के 24 सितंबर 2020 के फैसले को अमान्य ठहराया है। पीठ ने कहा कि महिला को तलाक याचिका पर अपना पक्ष रखने का उचित अवसर नहीं दिया गया, जबकि उसने अपना लिखित बयान पहले ही दर्ज करा रखा है। पीठ ने कहा कि जब 16 मार्च, 2020 को मामला परिवार न्यायालय के समक्ष सुनवाई के लिए आया तब महामारी का दौर शुरू हो चुका था। अदालतों के कामकाज भी सीमित कर दिए गए थे। इसके मद्देनजर निचली अदालतों को विशेष तौर पर निर्देश दिया गया था कि उन लोगों के खिलाफ कोई प्रतिकूल आदेश पारित नहीं करें जो प्रत्यक्ष या वीडियो कांफ्रेंसिंग से होने वाली सुनवाई में शामिल नहीं हो पा रहे हैं। सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद उच्च न्यायालय ने मामले को दोबारा से परिवार अदालत में भेजते हुए इस पर नए सिरे से तथ्यों और महिला का पक्ष सुनने के बाद फैसला करने का आदेश दिया है।

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