नई दिल्ली, नगर संवाददाता: करीब 18 साल पहले फर्जी मुकदमे में कारोबारी पिता-पुत्र को फंसाने के मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों को आरोपमुक्त किए जाने पर उच्च न्यायालय ने अपने रजिस्ट्रार जनरल और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। न्यायालय ने पीड़ित कारोबारी की निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर यह आदेश दिया है।
जस्टिस योगेश खन्ना ने मामले में निचली अदालत द्वारा आरोमुक्त किए गए आरोपी पुलिसकर्मियों को भी नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। साथ ही उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल से अपना पक्ष रखने को कहा गया है क्योंकि मामले में शिकायतकर्ता वही हैं। न्यायालय के निर्देश पर रजिस्ट्रार जनरल ने ही पुलिसकर्मियों के खिलाफ शिकायत दाखिल की थी।
मामले में कोटला मुबारकपुर में खाद्य सामग्री की दुकान चलाने वाले मनजीत सिंह चुग और उनके पिता ने अक्तूबर 2002 में चोरी करते हुए एक चोर को पकड़ा था। भागने के दौरान फर्नीचर पर गिरने के कारण चोर के सिर में चोट आ गई थी। बाद में अदालत में चोर ने कारोबारी चुग और उनके पिता पर लोहे की रॉड से हमला करने का आरोप लगाया। जांच अधिकारी ने सही स्थिति बताने के बजाय चुग और उनके पिता के खिलाफ भी केस दर्ज कर लिया। कारोबारी ने गृह मंत्रालय, दिल्ली पुलिस आयुक्त और उपराज्यपाल से विजिलेंस जांच की गुहार लगाई तो जांच में कारोबारी के खिलाफ दर्ज मुकदमे को संदेह के घेरे में पाया गया। इसके बाद उच्च न्यायालय ने कारोबारी चुग और उनके पिता को बरी कर दिया, साथ ही झूठे मुकदमे में फंसाने वाले एक इंस्पेक्टर और दो सब इंस्पेक्टर के खिलाफ समुचित कार्रवाई करने का आदेश दिया था। वर्ष 2010 में उपराज्यपाल ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दे दी लेकिन निचली अदालत ने पिछले साल नवंबर में तीनों पुलिसकर्मियों को आरोपमुक्त कर दिया था। इसके खिलाफ कारोबारी ने उच्च न्यायालय में अपील दाखिल की है। कारोबारी मनजीत सिंह चुग ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए इसे रद्द करने की मांग की है।
चुग की और से अधिवक्ता जगमोहन सिंह ने उच्च न्यायालय को बताया कि उनके मुवक्किल ने निचली अदालत में सुनवाई करने वाले न्यायाधीश पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए उनसे मुकदमा किसी अन्य अदालत में भेजने का आग्रह किया था, बावजूद इसके उन्होंने आदेश पारित करते हुए आरोपी पुलिसकर्मियों को आरोपमुक्त कर दिया।