नई दिल्ली, नगर संवाददाता: सोशल साइट पर किसी युवती को दोस्त बनने के लिए दबाव डालना जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा सकता है। अदालत ने इस तरह के कृत्य को अपराध मानते हुए एक मामले में आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा है कि सोशल साइट पर भी आप किसी को जबरदस्ती दोस्ती के लिए मजबूर नहीं कर सकते।
साकेत स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुज अग्रवाल की अदालत ने मामले में युवती की शिकायत पर आरोपी के खिलाफ पीछा करने और धमकाने के इल्जाम में आरोप तय किए हैं। अदालत ने कहा कि सोशल साइट पर दोस्ती का चलन पिछले कुछ दिनों में तेजी से बढ़ा है। इसके सकारात्मक पक्ष भी हैं लेकिन सोशल साइट का गलत इस्तेमाल भी बढ़ा है। खासतौर पर महिलाओं के प्रति सोशल साइट पर दोस्ती के नाम पर अलग-अलग तरह के प्रयोग किए जाते हैं, जो अपराध के दायरे में आते हैं। इसलिए सोशल साइट पर अकाउंट बनाते समय व उसे संचालित करते समय मर्यादा का ध्यान रखना आवश्यक है। अदालत ने इस मामले में पुलिस को अभियोजन पक्ष की गवाही शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
शिकायतकर्ता युवती का कहना था कि आरोपी ने वर्ष 2017 में उसे फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी। उसने रिक्वेस्ट को स्वीकार नहीं किया तो आरोपी ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया। आरोपी ने उसे कई बार रोका और रिक्वेस्ट स्वीकार करने का दबाव बनाया। इतना ही नहीं, वह लगातार पीछा करता रहा। युवती ने परिवार को जानकारी दी तो मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया। हालांकि अदालत ने आरोपी पर लगे छेड़खानी के आरोपों को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि यहां शारीरिक छेड़खानी की बात सामने नहीं आ रही है।
हो सकती है तीन साल तक की जेल
इस तरह के अपराध अदालत में साबित होने पर तीन साल की जेल की सजा हो सकती है। साथ ही अदालत जुर्माना भी लगा सकती है। लेकिन अगर एक बार दोषी पाए जाने के बाद कोई व्यक्ति दूसरी बार इसी तरह के अपराध में शामिल पाया जाता है तो उसे पांच साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा जुर्माना अलग से लगाया जाएगा। अदालत का मानना है कि यदि कोई व्यक्ति बार-बार ऐसी हरकत करता है तो इससे साफ हो जाता है कि वह आदतन ऐसे कृत्य को अंजाम देता है।