नई दिल्ली, नगर संवाददाता: राजधानी में बाल मजदूरी से मुक्त कराए गए बच्चों के पुनर्वास के लिए तत्काल आर्थिक सहयाता मुहैया कराने की मांग पर उच्च न्यायालय ने गुरुवार को केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। न्यायालय ने बाल मजदूरी से मुक्त कराए गए एक बच्चे के पिता की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है। याचिका में उन्होंने सभी बच्चों के पुनर्वास के लिए तत्काल आर्थिक सहायता मुहैया कराने की मांग की है।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने इस मामले में केंद्रीय श्रम मंत्रालय और दिल्ली सरकार के श्रम विभाग को नोटिस जारी कर मामले की अगली सुनवाई आठ फरवरी से पहले जवाब देने को कहा है। याचिकाकर्ता मोहम्मद कादिर अंसारी ने याचिका में बाल मजदूरी से मुक्त कराए गए 88 बच्चों के पुनर्वास के लिए समुचित कदम उठाने के लिए सरकार को आदेश देने की मांग की है। इन 88 बच्चों में अंसारी का बेटा भी है, जो 12 साल की उम्र में काम की तलाश में बिहार से दिल्ली आ गया था।
अधिवक्ता निमिषा मेनन और शिवांगी यादव के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा गया है कि बच्चे को एक प्रतिष्ठान में काम की पेशकश की गई, जहां दो माह तक नियोक्ता उसके साथ अमानवीय व्यवहार करता रहा और न्यूनतम मजदूरी तक नहीं देने के बावजूद उससे 14 घंटों तक काम कराया था। याचिका में कहा गया है कि बच्चे और उसके जैसे अन्य पीड़ितों को अधिकारी केंद्रीय सेक्टर योजना 2016 के तहतपुनर्वास संबंधी वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने में नाकाम रहे।