महाराष्ट्र/मुंबई, मुलचंद कोठारी: श्री चिंतामणी पार्श्र्वनाथ जैन संघ बागोल में चल रहे चातुर्मास का समापन व परिवर्तन कार्तिक पूर्णिमा (12 नवंबर 2018) के हर्षोल्लास के साथ हुआ। श्रीसंघ के महाराजा श्री चिंतामणी पार्श्र्वनाथ दादा के दरबार में चल रहे चातुर्मास में निश्रा प्रदान करने वाले वल्लभसुरी समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपती आण्भण्श्री नित्यानंदसुरी के शिष्यरत्न श्री रविन्द्र विजयजी, महेंद्र विजयजी व मेवाड़ केशरी, नाकोड़ा तिर्थोद्धारक आ.भ. श्री हिमाचलसुरी समुदाय के सरल स्वभावी साध्वीवर्या सौम्ययशा श्रीजी, शीलयशा श्रीजी के आशिर्वाद से हर काम निर्विघ्न पूर्वक सफल हुआ। श्रीसंघ के ट्रस्ट मंडल के अध्यक्ष मूलचन्द कोठारी की सुचना अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के सुबह 5.30 बजे के सुबह मुहुर्त में गुरु महाराज उपाश्रय भवन से श्री चिंतामणी पार्श्र्वनाथ दादा के दर्शन करके चातुर्मास लाभार्थी परिवार के धर पगल्या कर श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ दादा के दर्शन करते हुए छःरी पाली श्रीसंघ के साथ वाजते गाजते पडोस में सुमेर तीर्थ को प्रस्थान किया। श्रीसंघ ने सुमेर तीर्थ में बड़े ही ठाठ-पाठ से शैत्र्युंजय गिरीराज की भावयात्रा हर्षोल्लास से संपन्न हुई उसके पश्चात नवकारसी का लाभ लेकर श्रीसंघ के सदस्य वाहन द्वारा बागोल नगर में पधारे।