महंगा पड़ा मॉब लिंचिंग पर पीएम मोदी को खुला पत्र लिखना, 50 लोगों के खिलाफ एफआईआर

मुजफ्फरपुर/नगर संवाददाता : देश में बढ़ रहे मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा पीट.पीटकर हत्या) के मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखना रामचंद्र गुहाए मणि रत्नम और अपर्णा सेन समेत करीब 50 लोगों खासा महंगा पड़ गया। पुलिस ने गुरुवार को इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की।

स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा की ओर से दो महीने पहले दायर की गई एक याचिका पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सूर्य कांत तिवारी के आदेश के बाद यह प्राथमिकी दर्ज हुई है।
ओझा ने कहा कि सीजेएम ने 20 अगस्त को उनकी याचिका स्वीकार कर ली थी। इसके बाद गुरुवार को सदर पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज हुई। ओझा का आरोप है कि इन हस्तियों ने देश और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को धूमिल किया।
पुलिस ने बताया कि प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज की गई है। इसमें राजद्रोह, उपद्रव करने, शांति भंग करने के इरादे से धार्मिक भावनाओं को आहत करने से संबंधित धाराएं लगाई गईं हैं।

क्या है पूरा मामला – देश में बढ़ती मॉब लिंचिग की घटनाओं से दुखी होकर देश के जानी मानी हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपली की थी कि इस पर तुरंत रोक लगानी चाहिए। पीएम को लिखे पत्र में इन्होंने कहा था कि मुस्लिमों, दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही मॉब लिंचिंग तत्काल रुकनी चाहिए।

जुलाई में लिखे इस पत्र में इन्होंने मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि लोकतंत्र में असहमति की भी जगह होनी चाहिए. ऐसे लोग जो सरकार की आलोचन करते है उन्हें राष्ट्रविरोधी और शहरी नक्सली नहीं करार देना चाहिए। पीएम मोदी को लिखे इस पत्र पर खूब सियासत हुई थी और इसके विरोध में 61 हस्तियों ने जवाबी पत्र लिखा था।

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