इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश/नगर संवाददाताः माघ मेले में श्रद्धालुओं को निर्मलअविरल गंगा में डुबकी लगाने को मिले और कल्पवासियों को पीने के लिए शुद्ध गंगा जल मिल सके, संत समाज ने इसके लिए पुरजोर अभियान चलाने की योजना बनाई है। संत-महात्माओं का अविरल गंगा अभियान माघ मेले के श्रीगणेश से पहले ही शुरू हो जाएगा। तीर्थराज प्रयाग के माघ मेले में देश विदेश से लाखों श्रद्धालु पवित्र संगम में डुबकी लगाने आते हैं। ऐसे में जरूरी है कि उन्हें शुद्ध गंगाजल मिले, लेकिन गंगा में गिर रहे शहर के 64 नालों का पानी इसे प्रदूषित कर रहा है। प्रशासन अपना दावा कर रहा है, लेकिन संतों का कहना है कि माघ मेले के दौरान गंगा का पानी हर साल बहुत प्रदूषित होता है। कानपुर से लेकर प्रयाग तक दर्जनों नालों से गंदा पानी गंगा में गिराया जा रहा है। कानपुर की टेनरियों का गंदा पानी भी गंगा में बहाया जा रहा है। मेले में दंडी स्वामियों के करीब सवा सौ शिविर लगते हैं जहां 700 से ज्यादा संत पूरे 30 दिन तक भक्ति में लीन रहते हैं। इस दौरान वे केवल गंगा जल ही पीते हैं। दंडी स्वामी श्रद्धालुओं से गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने की अपील करेंगे। लोगों को जागरूक करेंगे। महंत टीकरमाफी आश्रम के स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी ने कहा, कोर्ट के आदेश के बाद भी कानपुर की टेनरियों को स्थानांतरित नहीं किया जा रहा। प्रयाग में गंगा की धारा निर्मल बनाने के लिए 12 सालों से अभियान चलाया जा रहा है लेकिन सरकार गंभीर नहीं हो रही। इसके लिए स्पष्ट संवैधानिक प्रावधान किए जाने चाहिए। माघ मेले में जो अभियान चलेगा उसमें हरिद्वार, बनारस, सीतापुर, मथुरा, वृंदावन, अयोध्या के संत भी हिस्सा लेंगे। वहीं, अधिशासी अभियंता, सिंचाई विभाग बाढ़ प्रखंड मनोज सिंह का कहना है कि गंगा में हर वक्त पानी छोड़ा जाना संभव नहीं है। हां मेले के दौरान निरंतर चार हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है। कोशिश यही रहती है कि श्रद्धालुओं को डुबकी लगाने के लिए शुद्ध गंगाजल मिले। मेला शुरू होने से 20 दिन पहले से पानी छोड़ा जाने लगेगा। यह सिलसिला 13 फरवरी तक चलेगा।