नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने अपनी प्रयोगशालाओं के दरवाजे आईआईटी के शोधकर्ताओं के लिए खोलने का फैसला किया है। रक्षा सामग्री के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने तथा नई सामरिक महत्व की खोजों को बढ़ावा देने के लिए डीआरडीओ और आईआईटी आपसी सहयोग बढ़ाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में डीआरडीओ के वैज्ञानिकों से रक्षा सामग्री का स्वदेशी उत्पादन बढ़ाने और उद्योग और संस्थानों के साथ मिलकर कार्य करने का आह्वान किया था। इसकी कड़ी में दोनों संस्थान आगे बढ़ रहे हैं। आईआईटी में शोध करने वाले रक्षा से जुड़े विषयों को प्राथमिकता देंगे। डीआरडीओ की देश भर में 54 प्रयोगशालाएं हैं। जबकि आईआईटी के बास बेस्ट ब्रेन हैं लेकिन उसके पास सामरिक महत्व के शोध के लिए उपयुक्त प्रयोगशालाओं की कमी है। डीआरडीओ की प्रत्येक प्रयोगशाला की खूबी यह है कि वह सामरिक महत्व के किसी खास क्षेत्र में शोध की सुविधाओं से लैस है। आईआईटी के शोधकर्ताओं को इन प्रयोगशालाओं में आकर शोध कार्य करने की अनुमति दी जाएगी।
इस कड़ी में आईआईटी ने डीआरडीओ के सेवानिवृत्त वैज्ञानिकों को प्रोफेसरशिप देने का ऐलान किया है। साथ ही आईआईटी डीआरडीओ के सेवारत वैज्ञानिकों को भी बतौर अतिथि शिक्षक लेक्चर आदि के लिए बुलाएंगे। डीआरडीओ ने आईआईटी को यह भी कहा कि जो छात्र रक्षा से जुड़े मुद्दों पर शोध करेंगे, उन्हें प्रयोगशाला की सुविधा तो मिलेगी ही, साथ में उन्हें स्कॉलरशिप भी डीआरडीओ प्रदान करेगा।
इसी प्रकार आईआईटी में एक ज्वाइंट रिसर्च सेंटर बनाया जाएगा जहां डीआरडीओ और आईआईटी के विशेषज्ञ शोध के लिए रणनीति तैयार करेंगे तथा विषयों का चयन करेंगे।
डीआरडीओ ने आईआईटी से यह भी कहा है कि वे डिफेंस स्टडीज में कोर्स शुरू करें। दरअसल, कई आईआईटी मानविकी में भी कोर्स शुरू कर रहे हैं, ऐसे में वे डिफेंस स्टडीज जैसे विषय शुरू करके रक्षा संबंधी शोध कार्य को बढ़ावा दे सकते हैं।