नई दिल्ली, नगर संवाददाता: महिला वकील पर हमला करने के मामले में दोषी ठहराए गए उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन (डीएचसीबीए) के पूर्व अध्यक्ष राजीव खोसला ने पीड़ित को मुआवजे देने के लिए अदालत में अपनी आय का विवरण देने से इनकार कर दिया। खोसला ने अदालत में कहा है कि यदि मामले में उन्हें दो साल कैद की सजा दी जाती है तो भी उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। खोसला को 1994 में एक महिला वकील पर हमला करने के मामले में दोषी ठहराया गया है।
तीस हजारी स्थित मुख्य महानगर दंडाधिकारी गजेंद्र सिंह नागर के समक्ष खोसला ने लिखित दलील पेश करते हुए यह जानकारी दी है। उन्होंने अदालत को बताया है कि वह करण सिंह बनाम राज्य में उच्च न्यायालय द्वारा अनिवार्य पीड़ित प्रभाव रिपोर्ट तैयार करने के लिए दिए गए अपने हलफनामे को वापस लेना चाहते है। खोसला ने कहा है कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है क्योंकि दोषी के व्यक्तिगत विवरण के अलावा उसके बच्चों और परिवार के सदस्यों के बारे में जानकारी साझा की जाती है। खोसला ने अदालत को बताया है कि वह उच्च न्यायालय के इस फैसले खिलाफ भी अपील दाखिल करेंगे। इस पर इस मामले में शिकायतकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि हलफनामे को वापस लेना अदालत की अवमानना होगा। शिकातयकर्ता सुजाता कोहली की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि यह साधारण मामला नहीं क्योंकि इस मामले में बार एसोसिएशन के नेता खोसला ने कई लोगों की उपस्थिति में एक महिला वकील के साथ मारपीट की थी। शिकायतकर्ता ने कहा कि उन्हें दोषी से किसी मुआवजे की भी जरूरत नहीं है। इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 6 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी। इस मामले में खोसला पर आरोप है कि जब वे तीस हजारी अदालत में वकील थे, उन्होंने शिकायतकर्ता कोहली को बाल से पकड़कर घसीटा था। बाद में कोहली दिल्ली की न्यायपालिका के तहत न्यायिक अधिकारी बन गई और पिछले साल सेवानिवृत हुई।