फिरोजाबाद, नगर संवाददाता: अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साहित्यकार/पत्रकार स्वर्गीय बनारसी दास चतुर्वेदी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे उनकी साहित्यिक की यात्रा नए पत्रकारों के लिए प्रेरणा और लोक रक्षक के रूप में चिर स्मरणीय रहेगी।
दादाजी की जन्म स्थली फिरोजाबाद में सोमवार को पदम विभूषण पंडित बनारसी दास चतुर्वेदी जी का साहित्यिक अब दान विषय पर हिंदुस्तानी अकेडमी और महात्मा गांधी महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजन महाविद्यालय सभागार में किया गया।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि हिंदुस्तानी एकेडिमी के अध्यक्ष प्रोफेसर उदय प्रताप सिंह ने अपने संबोधन ने कहा कि दादा जी ने अपने जीवन की शुरुआत पत्रकारिता से की और अंत साहित्य जगत की ऊंचाइयों को प्राप्त कर किया दादा जी का माना था कि यदि परिवार की एक महिला शिक्षित होती है तो पूरा परिवार शिक्षित हो जाता है दादा जी पत्रकारिता के साथ-साथ सामाजिक पहलू को भी ध्यान में रखकर लेखन कार्य करते थे उन्होंने प्रवासी भारतीयों की समस्याओं के विषय में लेखन कर सरकारों का ध्यान आकर्षित किया इसके अलावा क्रांतिकारियों के श्राद्ध की रुप में क्रांतिकारी परिवारों को सहायता दिलवाई पत्र लेखन उनकी एक विशेष विधा रही वह एक निर्भीक निष्पक्ष कलम कर रहे उनके द्वारा प्रवासी भारतीय के लिए पुस्तक का भी प्रकाशन किया गया दादाजी अटल बिहारी बाजपेई महात्मा गांधी आदि के साथ रहे उनकी विरासत को संरक्षित रखने के लिए देश में हर जगह कार्यक्रम होने चाहिए।
संगोष्ठी के अध्यक्ष प्रोफेसर उमापति दीक्षित हिंदी संस्थान आगरा ने अपने उद्बोधन में कहा कि दादाजी फिरोजाबाद की ही गौरव नहीं एक अंतर्राष्ट्रीय विभूति थे उन्होंने अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत गणेश शंकर विद्यार्थी से प्रेरित होकर की थी कोलकाता के विशाल भारत के संपादक रहते हुए उन्होंने पत्रकारिता के नए आयाम स्थापित किए जिसमें देश के तत्कालीन नामी साहित्यकार और पत्रकार अपने लेख प्रकाशित कराने के लिए प्रयासरत रहे के थे उनकी शैली निर्भीक और निष्पक्ष रही अपने मालिक रामानंद चटोपाध्याय के खिलाफ भी अखबार में लिखने में उन्होंने कोई संकोच नहीं किया था दीनबंधु एंड रूज का नामकरण उनके द्वारा किया गया उन्होंने अनेक अंग्रेजीअखवारो मै स्वतंत्रता अन्दोलन के लिऐ लेख छपवाये थे। विश्व हिंदी साहित्य परिषद अध्यक्ष डॉ आशीष कधवेने अपने उद्बोवोधन ने बताया कि मॉरिशस में प्रवासी भारतीय दादाजी की फोटो अपने घरों में रखकर भगवान के रूप में उनकी पूजा करते हैं उनके द्वारा किए गए प्रवासी भारतीयों के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता हमें उन पर गर्व है दादाजी कॉलजयी पत्रकारथै। उन्होंने अपने समय में पत्रकारिता को प्रदूषण से बचाने के लिए भी कार किया था। उन्होंने निबंध संस्मरण जैसी अनेक विधाओं पर काम कर अपनी एक विशेष छाप छोड़ थी।
डॉ रामस्नेही लाल शर्मा ने कहा कि दादाजी पत्रकार तौर साहित्यिक जगत के साथ-साथ समाज के सभी वर्गों के लोगों से जुड़े हुए थे उन्हें देश के साथ-साथ अपने नगर की भी चिंता रही जनपद आंदोलन के माध्यम से उन्होंने अनेक शिक्षण संस्थान से विशिष्ट व्यक्तियों पर पुस्तक और विशेषांक भी प्रकाशित कराकर उनकी स्मृतियों को संरक्षित करने का भी काम था उनकी साहित्य और समाज सेवा हमेशा प्रेरणा का काम करेगी । संगोष्ठी में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ विद्या कांत तिवारी ने कहां कि पत्र लेखन में दादाजी का रिकॉर्ड था विशिष्ट जनों की उनके पास एक लाख से अधिक पत्र संरक्षित थे जो संग्रहालय में सुरक्षित है पत्र लेखन कि विधा समाप्त होती जा रही है जबकि पत्र लेखन से व्यक्ति का शब्दकोश विकसित होता है दादा जी ने नए पत्रकारों को प्रेरणा देने का काम किया। डॉ बेद प्रकाश अमिताभ भगवान सिंह शर्मा हिमांशु शर्मा कोमल वर्मा डॉट शाम स्नेही लाल शर्मा डॉ राज नारायण शुक्ला आज नेवी अपने उद्बोधन दादा जी को सच्चा लोक रक्षक साहित्यकारों पत्रकार बताया जिसने आम आदमी की वेदना से लेकर प्रवासी भारतीय कि वेदना की आवाज को भी अपनी लेखनी बुलंद करने का काम किया और 12 वर्ष राज् सभा के सदस्य रहते हुए भी अपना जी जीवन सरल और साधारण ही व्यतीत करते रहे सभी उपस्थित लोगों ने दादाजी की स्मृति को संरक्षित रखने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम की जाने का सुझाव रखा गया कार्यक्रम की संयोजक डॉक्टर संध्या द्विवेदी और विद्यालय के सचिव अनिल उपाध्याय द्वारा अतिथियों का स्वागत आभार व्यक्त किया गया इस अवसर पर विधायक मनीष असीजा राजेश्वर प्रसाद बंसल धर्मेंद्र नाथ शर्मा शिव कांत शर्मा राकेश शर्मा अनुपम गुप्ता सतीश चंद गुप्ता प्रकाश चंद गुप्ता प्राचार्य निर्मला यादव अनुपमा चौहान डॉ अनुपम श्रीवास्तव क्या नाम क्या डॉ अपूर्व चतुर्वेदी नील मणि चतुर्वेदी डॉ निखिल चतुर्वेदी प्रदीप गुप्ता आदि गणमान्य साहित्यकार पत्रकार आदि उपस्थित रहे।