भाजपा के शासन में मणिपुर में कानून व्यवस्था में व्यापक सुधारः अमित शाह

नई दिल्ली, नगर संवाददाता: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को मणिपुर की भाजपा सरकार की सराहना करते हुए कहा कि पिछले पांच वर्षों में राज्य में चहुंमुखी विकास तथा कानून व्यवस्था की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
मणिपुर में रानी गैदिनल्यू आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय की डिजिटल तरीके से आधारशिला रखते हुए शाह ने कहा कि केंद्र सरकार और मणिपुर में एन बीरेन सिंह सरकार ने कानून व्यवस्था की स्थिति, शिक्षा, बिजली और अन्य बुनियादी ढांचे में व्यापक सुधार किया है।
उन्होंने कहा, ष्मणिपुर में सत्ता में आने से पहले, हमने बंद, हड़ताल और नाकाबंदी खत्म करने का वादा किया था। हमने तीनों को खत्म कर दिया है और मणिपुर में कानून व्यवस्था की स्थिति में काफी सुधार किया है।ष्
गृह मंत्री ने कहा कि अगर मणिपुर में पिछले पांच वर्षों में हुए विकास और राज्य में पिछले 70 वर्षों में हुए विकास के बीच तुलना की जाए, तो पिछले पांच वर्षों में हुई प्रगति अधिक नजर आएगी।
मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पहली बार 2017 में सत्ता में आई थी।
शाह ने कहा कि मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में रहने वालों ने आजादी के बाद पहली बार महसूस किया है कि एक केंद्र सरकार है जो उनके कल्याण के बारे में सोचती है।
उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बिजली और गैस कनेक्शन, मुफ्त शौचालय तथा स्कूलों की स्थापना देखने को मिली।
मणिपुर, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और गोवा में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है।
शाह ने गैदिनल्यू को श्रद्धांजलि दी और कहा कि अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष में उनकी भूमिका को स्वीकार करते हुए लोगों ने उन्हें ‘रानी’ की संज्ञा दी।
गृह मंत्री ने कहा कि 2015 में उनकी जन्म शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री ने 100 रुपये का सिक्का जारी किया था।
उन्होंने कहा कि भारतीय तटरक्षक बल ने 2016 में तीव्र गति वाले गश्ती पोत ‘आईसीजीएस रानी गैदिनल्यू’ को सेवा में शामिल किया था।
रानी गैदिनल्यू आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय की स्थापना मणिपुर के तामेंगलोंग जिले के लुआंगकाओ गांव में की जाएगी, जहां उनका जन्म हुआ था।
मणिपुर के मुख्यमंत्री, केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा और अन्य लोग जहां इंफाल में कार्यक्रम में शामिल हुए, वहीं शाह ने दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए इसे संबोधित किया।
जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा 15 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली संग्रहालय परियोजना को मंजूरी दी गई है।
रानी गैदिनल्यू का जन्म 26 जनवरी, 1915 को हुआ था। 13 साल की उम्र में, वह मणिपुर के आध्यात्मिक नेता एवं राजनीतिक कार्यकर्ता हैपो जादोनांग से जुड़ी थीं तथा उनके सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक आंदोलन में प्रमुखता से भागीदारी की।
वर्ष 1926 के आसपास जादोनांग के साथ शुरू हुए उनके चार साल के जुड़ाव ने उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता सेनानी बनने के लिए प्रेरित किया।
अंग्रेजों द्वारा 1931 में जादोनांग को फांसी दिए जाने के बाद गैदिनल्यू ने आंदोलन की कमान संभाल ली थी।
जादोनांग की शहादत के बाद गैदिनल्यू ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया, जिसके लिए उन्हें 14 साल कैद की सजा हुई और आखिरकार 1947 में उन्हें रिहा किया गया।
भारत को आजादी मिलने के बाद उन्हें तुरा जेल (मेघालय) से रिहा किया गया था। 17 फरवरी 1993 को उनका निधन हो गया।
उन्हें 1972 में ताम्रपत्र, 1982 में पद्म भूषण, 1983 में विवेकानंद सेवा सम्मान, 1991 में स्त्री शक्ति पुरस्कार और 1996 में मरणोपरांत भगवान बिरसा मुंडा पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
भारत सरकार ने 1996 में रानी गैदिनल्यू की स्मृति में एक डाक टिकट जारी किया था।

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