उच्च न्यायालय ने अदालत कक्षों में पूरी तरह से प्रत्यक्ष सुनवाई शुरू की

नई दिल्ली, नगर संवाददाता: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार से पूरी तरह से अदालत कक्षों में प्रत्यक्ष सुनवाई शुरू कर दी। कोविड-19 महामारी की वजह से यह अभी तक डिजिटल माध्यम से सुनवाई कर रहा था।
सभी न्यायाधीशों ने सोमवार से अपने कक्षों में सुनवाई शुरू कर दी है। हालांकि ‘हाइब्रिड’ प्रणाली यानी ऑनलाइन और ऑफलनाइन की व्यवस्था बनी रहेगी।
उच्च न्यायालय कोरोना वायरस महामारी के बाद मार्च 2020 से ही वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मामलों की सुनवाई कर रहा था। हालांकि बाद में कुछ पीठों ने अदालत कक्षों में रोटेशन आधार पर प्रत्यक्ष सुनवाई शुरू की थी।
उनमें से कुछ ‘हाइब्रिड’ सुनवाई कर रही हैं जिनमें वकीलों के पास विकल्प है कि वे व्यक्तिगत तौर पर पेश होने के बजाय वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश हों।
उच्च न्यायालय ने 18 नवंबर को मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर अदालत भवन में वकीलों एवं वादियों के प्रवेश को नियंत्रित करते हुए कहा कि जिन लोगों को फ्लू, बुखार और खांसी है, उन्हें अदालत कक्ष में आने की अनुमति नहीं हैं।
रजिस्ट्रार जनरल मनोज जैन की ओर से जारी प्रोटोकॉल में उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि वकील द्वारा प्रतिनिधित्व किए जा रहे किसी भी वादी को तबतक अदालत में प्रवेश की अनुमति नहीं है जबतक इस बाबत कोई विशिष्ट निर्देश न हों।
उसमें यह भी कहा गया था कि जो लोग अदालत आ रहे हैं, वे एक दूसरे से दूरी बनाने एवं हर वक्त मास्क लगाने जैसे नियमों का सख्ती से पालन करें।
बता दें, 29 अक्टूबर को उच्च न्यायालय ने कहा था कि वे 22 नवंबर से अदालत कक्षों में सुनवाई पूरी तरह से बहाल करेंगे और साथ में पक्षों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्य से पेश होने का विकल्प भी देंगे।
इससे पहले 15 मार्च 2021 से भी अदालत कक्षों में पूरी तरह से प्रत्यक्ष सुनवाई शुरू हो गई थी लेकिन कोविड की दूसरी लहर को देखते हुए आठ अप्रैल को एक आदेश जारी कर कहा गया था कि मामलों की सुनवाई ऑनलाइन माध्यम से होगी।

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