न्यायालय बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव के मामले में केंद्र की याचिका पर 26 नवंबर को सुनवाई करेगा

नई दिल्ली, नगर संवाददाता: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय से जुड़े मामले में कैट की प्रधान पीठ का आदेश निरस्त करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केंद्र की याचिका पर 26 नवंबर को सुनवाई करेगा। उच्च न्यायालय ने केंद्र द्वारा शुरू की गई कार्रवाई के खिलाफ बंदोपाध्याय के आवेदन को कैट की प्रधान पीठ ने कोलकाता से नई दिल्ली स्थानांतरित करने का आदेश खारिज कर दिया था।

उच्च न्यायालय के 29 अक्टूबर के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने सुनवाई की। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि इस मामले में ‘‘कुछ अत्यावश्यकता’’ है क्योंकि क्षेत्रीय अधिकार का मुद्दा शामिल है। पीठ ने मेहता से पूछा, ‘‘आप किस तरह की अंतरिम राहत चाहते हैं।’’

मेहता ने कहा कि केंद्र उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध कर रहा है। चूंकि मामला शाम चार बजे के बाद शीर्ष अदालत के समक्ष सुनवाई के लिए आया, इसलिए पीठ ने इसे 26 नवंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

मेहता ने कहा कि बंदोपाध्याय सुनवाई के दौरान कैट नहीं जा सकते क्योंकि क्षेत्रीय अधिकार का मुद्दा शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित है। बंदोपाध्याय के वकील ने मौखिक रूप से पीठ को आश्वासन दिया कि अभी और शुक्रवार के बीच कोई अर्जी दायर नहीं किया जाएगी।

केंद्र ने 15 नवंबर को शीर्ष अदालत को बताया था कि उच्च न्यायालय ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की प्रधान पीठ का आदेश रद्द करते हुए एक ‘‘परेशान करने वाला आदेश’’ पारित किया है। सॉलिसिटर जनरल ने पीठ से कहा था कि क्षेत्रीय अधिकार के सवाल पर उच्च न्यायालय का आदेश और इसमें की गई कुछ टिप्पणियों ‘‘परेशान करने वाली’’ हैं।

शीर्ष अदालत उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केंद्र की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने कैट की कोलकाता पीठ को बंदोपाध्याय के आवेदन की सुनवाई में तेजी लाने और जल्द से जल्द इसका निपटारा करने का निर्देश दिया था।

बंदोपाध्याय ने 28 मई को कलाईकुंडा वायु सेना स्टेशन पर चक्रवात ‘यास’ के प्रभावों पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक बैठक में भाग लेने से संबंधित मामले में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही को चुनौती देते हुए कैट की कोलकाता पीठ का रुख किया था। तीन महीने का सेवा विस्तार दिए जाने के बावजूद बंदोपाध्याय ने 31 मई को सेवानिवृत्त होने का फैसला किया था।

केंद्र सरकार द्वारा बंदोपाध्याय के खिलाफ कार्यवाही शुरू की गई और इस संबंध में एक जांच प्राधिकरण नियुक्त किया गया, जिसने 18 अक्टूबर को नई दिल्ली में प्रारंभिक सुनवाई तय की। इसके बाद बंदोपाध्याय ने अपने खिलाफ कार्यवाही को चुनौती देते हुए कैट की कोलकाता पीठ का रुख किया। केंद्र सरकार ने कैट की प्रधान पीठ के समक्ष एक स्थानांतरण याचिका दायर की थी, जिसने 22 अक्टूबर को बंदोपाध्याय के आवेदन को नई दिल्ली में स्थानांतरित करने की अनुमति दी थी। बंदोपाध्याय ने इस आदेश को कलकत्ता उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

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