नई दिल्ली, नगर संवाददाता: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में कहा कि 2021 के द्रोणाचार्य पुरस्कार (नियमित श्रेणी) के लिए हॉकी कोच संदीप सांगवान के नाम पर इसलिए विचार नहीं किया गया, क्योंकि उनसे भी अधिक मेधावी लोग इसके पात्र पाए गए। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल पीठ ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 23 दिसंबर को सूचीबद्ध कर दिया है।
दरअसल, संदीप सांगवान ने याचिका दाखिल कर युवा मामले एवं खेल मंत्रालय के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार (नियमित श्रेणी) से बाहर रखा गया। इस मामले में केंद्र सरकार के स्थायी वकील अनिल सोनी ने कहा कि याचिकाकर्ता की तुलना में अधिक लाभप्रद स्थिति में मौजूद अन्य मेधावी व्यक्ति पाए गए। उन्होंने कहा कि यह निर्णय लिया गया है कि यह एक ओलंपिक व पैरालंपिक वर्ष है, और इन आयोजनों में एथलीट के उत्कृष्ट प्रदर्शन को देखते हुए मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार और अर्जुन पुरस्कार में वृद्धि के लिए चयन समिति की सिफारिशें स्वीकार्य हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि अन्य श्रेणियों में योजना में उल्लिखित संख्या से अधिक पुरस्कारों की संख्या बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है। इसी के मुताबिक, द्रोणाचार्य (आजीवन श्रेणी), द्रोणाचार्य (नियमित श्रेणी) और ध्यानचंद लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड में से प्रत्येक में केवल पांच नाम को पुरस्कारों के लिए अंतिम रूप दिया गया था।
प्रसिद्ध हॉकी कोच होने का दावा करने वाले संदीप सांगवान का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि खेल पुरस्कार 2021 के लिए चयन समिति द्वारा मेधावी पाए जाने के बावजूद केंद्र ने द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए नामों पर विचार करते समय उनकी अनदेखी की। खेलों में उत्कृष्ट कोचों के लिए द्रोणाचार्य पुरस्कार की योजना के संदर्भ में हॉकी के लिए सर्वोच्च अंक हासिल करने वाले सबसे प्रबल दावेदार होने के बावजूद उनकी उपेक्षा की गई। याचिका में कहा गया है कि सांगवान ने 15 साल से ज्यादा समय तक कोच रहने के अलावा कई अवसरों पर राष्ट्रीय पुरुष हॉकी टीम के प्रबंधक के रूप में भी काम किया है।