भाजपा का विकल्प जनता तय करेगी, कोई और नहींः येचुरी

नई दिल्ली, नगर संवाददाता: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने सोमवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का विकल्प लोगों के जनादेश से आएगा, न कि किसी और के फैसले से।
उन्होंने कहा कि पार्टी की हाल में हुई केंद्रीय समिति की बैठक में कांग्रेस के विकल्प होने के मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई। उन्होंने केंद्रीय समिति की तीन दिवसीय बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि बैठक में कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के संबंध के मामले पर भी चर्चा नहीं हुई।
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय समिति की बैठक के दूसरे दिन केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने स्पष्ट रूप से कहा था कि कांग्रेस पार्टी, भाजपा का विकल्प नहीं है।
आपातकाल के बाद जनता पार्टी कांग्रेस के विकल्प के रूप में कैसे उभरी और अटल बिहारी वाजपेयी की हार के बाद संयुक्त प्रगतिशील संगठन (संप्रग) का गठन हुआ, इस पर प्रकाश डालते हुए येचुरी ने कहा कि भारत के लोगों ने हमेशा विकल्प ढूंढे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस मुद्दे पर (कांग्रेस से जुड़ाव) कोई फैसला नहीं लिया गया और भाजपा के राष्ट्रीय विकल्प के तौर पर कांग्रेस पर चर्चा नहीं हुई।
माकपा के महासचिव ने कहा, ‘लेकिन अगर भाजपा के खिलाफ कोई विकल्प है, तो यह देश के लोगों द्वारा लिए गए निर्णय के रूप में सामने आएगा, न कि किसी और के निर्णय द्वारा। जब भी लोगों ने ऐसी स्थिति का सामना किया है, तो उन्होंने अपने दम पर एक विकल्प ढूंढ लिया है।’’
कोविड-19 रोधी टीके की 100 करोड़ खुराकों के आंकड़े पर पहुंचने के बाद भाजपा सरकार के जश्न के बीच येचुरी ने एक मंत्री द्वारा पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क को मुफ्त टीकाकरण से जोड़ने वाली टिप्पणी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘‘एक कैबिनेट मंत्री बेतुका दावा कर रहे हैं कि पेट्रोलियम उत्पादों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी मुफ्त टीकाकरण का वित्तपोषण कर रही है। यह हास्यास्पद है। अगर लोग अत्यधिक कीमत चुका रहे हैं, तो टीकाकरण मुफ्त नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘टीकाकरण के लिए 35,000 करोड़ रुपए के बजटीय आवंटन का क्या हुआ? सारा पैसा कहां गया?’’ उन्होंने आरोप लगाया कि नरेन्द्र मोदी सरकार लोगों का ध्यान “विचलित” करने और “महामारी से अपने घोर कुप्रबंधन को छिपाने” के लिए 100 करोड़ टीके लगाने के लिए समारोह आयोजित कर रही है।
माकपा महासचिव ने 2021 के जनसांख्यिकीय सर्वेक्षण में जाति आधारित जनगणना की भी मांग की।

 

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