सीएम अरविंद केजरीवाल ने देश के पहले स्मॉग टॉवर का किया उद्घाटन

नई दिल्ली, नगर संवाददाता : दिल्लीवासियों को दूषित हवा से निजात दिलाने के लिए दिल्‍ली सरकार ने कनॉट प्‍लेस में स्‍मॉग टॉवर बनवाया है। आज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्मॉग टॉवर का उद्घाटन किया। इस दौरान उनके साथ दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय मौजूद रहे।
इस मौके पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि प्रदूषण से लड़ने और दिल्ली की हवा साफ करने के लिए आज दिल्ली में देश का पहला स्मॉग टॉवर लगाया जा रहा है। इस तकनीक को हमने अमेरिका से आयात किया है। ये टॉवर 24 मीटर ऊंचा है और ये 1 किलोमीटर दायरे की हवा को साफ करेगा। दिल्‍ली सरकार ने इसे पायलट प्रोजेक्‍ट के तौर पर तैयार करवाया है। अगर यह प्रयोग सफल रहता है तो आने वाले समय में पूरी द‍लि्‍ली में स्‍मॉग टॉवर लगाये जाएंगे।

अमेरिकी डिजाइन के अनुरूप है स्मॉग टॉवर
विशेषज्ञों के मुताबिक इस तरह के एंटी स्मॉग टॉवर अमेरिका में बने हैं। मिनेसोटा विश्वविद्यालय से इस टॉवर को बनाने का डिजाइन लिया गया है। उनके डिजाइन को भारतीय परिस्थिति के अनुसार तब्दील कर इस टॉवर को बनाया गया है। डिजाइन के लिए मिनेसोटा विश्वविद्यालय को रॉयल्टी अदा की गई है। 15 अगस्त तक स्मॉग टॉवर का काम पूरा हो जाएगा। फिर विशेषज्ञ इसका अध्ययन करेंगे और उपयुक्त परिणाम आने पर दिल्ली के अलग-अलग जगहों पर इस प्रकार के और स्मॉग टॉवर लगाए जाएंगे। मकसद यही है कि दिल्ली को लोगों को शुद्ध हवा देना।
ऐसे काम करता है एंटी स्मॉग टॉवर
एंटी स्मॉग टॉवर में नीचे 1.40 मीटर व्यास के चारों तरफ 10-10 पंखे यानी कुल 40 पंखे लगाए गए हैं। ये पंखे टॉवर के ऊपरी हिस्से से प्रति सेकंड 960 घन मीटर दूषित हवा खीचेंगे। ये पंखे 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगे और हवा को शुद्ध करके बाहर फेकेंगे।
पंखों के आसपास नोवेल ज्योमेट्री फिल्टरेशन सिस्टम (एनजीएफएस) से दो तरह के दस हजार फिल्टर लगेंगे। दूषित हवा उनसे छनने के बाद शुद्ध होकर टॉवर के निचले हिस्से से बाहर जाएगी। दावा है कि प्रति सेकंड करीब 864 घन मीटर स्वच्छ हवा टॉवर से बाहर निकलेगी। यह भी बताया गया कि आनंद विहार बस अड्डे के आसपास सर्दियों में पीएम 2.5 का स्तर 200 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक रहता है। इस टॉवर की मदद से पीएम 2.5 का स्तर को 60 फीसद तक कम होगा।
1 से डेढ़ वर्ग किमी तक करेगा असर
विशेषज्ञों की मुताबिक इस तरह का स्मॉग टॉवर चीन में भी लगाया गया है, लेकिन दिल्ली में लगाए जा रहे टॉवर की तकनीक में अंतर है। चीन के टॉवर में नीचे से हवा खींचकर ऊपर छोड़ी जाती है, जबकि यहां पर लगाए जा रहे स्मॉग टॉवर ऊपर से प्रदूषित हवा को खींचकर नीचे छोड़ी जाएगा। इसके पंखे वायु को शुद्ध कर दस मीटर की ऊंचाई पर छोड़ेंगे। अनुमान है कि एक वर्ग किलोमीटर तक इसका प्रभाव रहेगा। एक्सपर्ट का कहना है कि स्मॉग टॉवर की तेज हवा की रफ्तार की जद में पेड़ भी आएंगे। इसके आसपास सड़क बनेगी और पानी निकालने के लिए ड्रेन भी बनाई जाएगी।
20 करोड़ रुपए में बना स्मॉग टॉवर
पिछले हफ्ते दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया था कि 20 मीटर लंबी संरचना वाले टावर को कनॉट प्लेस में स्थापित किया गया, जो 1 किमी के दायरे की हवा की गुणवत्ता में सुधार करेगा। पर्यावरण मंत्री ने बताया कि इस टावर की लागत 20 करोड़ रुपए है।
कोरोना की वजह से देरी में बना टावर
बता दें कि इस स्मॉग टावर का निर्माण पहले ही हो गया था और उद्घाटन 15 अगस्त को करना था लेकिन कोरोना की वजह से इसका उद्घाटन 23 अगस्त को किया गया। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया था कि कोरोना की वजह से टावर निर्माण में देरी हुई। इस टावर से एक सेकेंड में 1000 घन मीटर हवा शुद्ध हो सकेगी। इसके अलावा केंद्र सरकार की ओर से भी एक स्मॉग टावर बनाया जा रहा है।
आनंद विहार में 31 अगस्त तक बनेगा स्मॉग टॉवर
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के आनंद विहार में 25 मीटर ऊंचे स्मॉग टावर को 31 अगस्त तक शुरू किया जाना था। बोर्ड के मुताबिक, निर्माण एजेंसियों ने लॉकडाउन के दौरान निर्माण कार्य जारी रखने की विशेष अनुमति मांगी थी। हालांकि लोग और सामान की आवाजाही की वजह से थोड़ी देरी हुई। अधिकारियों की माने तो स्मॉग टावर 31 अगस्त तक बनकर तैयार हो जाएगा। टाटा प्रोजेक्टस लिमिटेड दोनों स्मॉग टावर का निर्माण आईआईटी-बौम्बे के तकनीकी सहयोग से कर रहा है। 22 करोड़ की लागत से बनने वाला एक स्मॉग टावर अपने आसपास के 1 किमी के दायरे में प्रदूषक तत्व पीएम 2.5 को 70 फीसदी तक कम कर सकता है।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here