नई दिल्ली, नगर संवाददाता: गर्मी के चलते दिल्ली में बिजली की मांग बढ़ती जा रही है। दिल्ली में गुरुवार को बिजली की मांग 6499 मेगावाट तक पहुंच गई। यह पिछले वर्ष से अधिक है। पिछले साल गर्मियों में लॉकडाउन के कारण पीक डिमांड में कमी दर्ज की गई थी। यह सिर्फ 6314 मेगावाट के आंकड़े को छू पाई। 29 जून, 2020 को पिछले वर्ष की पीक डिमांड दर्ज की गई थी। वहीं 2019 में दो जुलाई को बिजली की मांग ऑल-टाइम हाई 7409 मेगावाट पहुंची थी।
इस साल के लिए डिस्कॉम ने अनुमान लगाया गया था कि बिजली की मांग 7900 मेगावाट तक जा सकती है, लेकिन लॉकडाउन और बारिश-तूफान आदि को देखते हुए लग रहा है कि पीक डिमांड अपेक्षाकृत कम रह सकती है। इस बार पीक डिमांड 7000 मेगावाट से 7400 मेगावाट के बीच रहने की संभावना है।
विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कोविड के इस दौर में आवश्यक सेवा के तौर पर बीएसईस महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। अस्पतालों, पैथ-लैब्स, क्वारंटीन सेंटरों, वैक्सीनेशन सेंटरों व अन्य जरूरी सेवाओं को विश्वसनीय बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ-साथ, बीएसईएस अपने 45 लाख उपभोक्ताओं को भी बेहतर बिजली आपूर्ति उपलब्ध करा रही है। बीएसईएस विभिन्न स्टेकहोल्डरों के साथ कोविड की स्थिति पर नजर रखे हुए है। उपभोक्ताओं को बेहतर बिजली आपूर्ति उपलब्ध कराने के लिए बीएसईएस ने न सिर्फ बिजली की पर्याप्त व्यवस्था की है, बल्कि बिजली की मांग का लगभग सटीक अनुमान लगाने के लिए वह अत्याधुनिक तकनीकों का भी इस्तेमाल कर रही है। इसमें मौसम का अनुमान लगाने वाली तकनीक भी शामिल है। उल्लेखनीय है कि लोड का लगभग सटीक अनुमान लगाने में तापमान, बारिश, बादल, हवा की गति, हवा की दिशा और उमस आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।