नई दिल्ली, नगर संवाददाता: फर्जी चाइनीज एप के जरिये लाखों लोगों को करोड़ो का चूना लगाने वाले अब पुलिस के शिकंजे में हैं। साइबर सेल के डीसीपी अन्येष राय ने बताया कि इंटरनेट मीडिया पर देशभर के लोगों द्वारा दो एप्लिकेशन पावर बैंक व इजी प्लान को लेकर खूब पोस्ट किए जा रहे थे। लोग इन एप्लिकेशन का खूब डाउनलोड कर इस्तेमाल कर रहे थे। पावर बैंक एप गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध था, वहीं ईजी प्लान वेबसाइट पर उपलब्ध था। इन दोनों एप पर पैसों का निवेश करने पर दोगुना रकम देने की बात कही जा रही थी। चूकि इन एप का इस्तेमाल करने के लिए लोगों को संदेश स्पैम के रूप में भेजे जा रहे थे। ऐसे में इन दोनों एप को संदिग्ध के रूप में पहचाना गया और एप की जांच राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक लैब में किया गया।
जांच में पता चला कि लोगों को धोखा देने के लिए पावर एप ने खुद को एक बेंगलुरू स्थित प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप के रूप में पेश किया। जिस सर्वर पर एप को होस्ट किया गया वह चीन में स्थित पाया गया। जांच में यह भी पता चला कि इस एप पर पैसों के लेनदेन के लिए बड़ी संख्या में भारतीय भी शामिल हैं। ऐसे में पुलिस टीम ने सबसे पहले एप पर खुद को पंजीकृत कराया और कुछ पैसे एप के जरिये भेजे। जालसाजों द्वारा उपयोग किए गए लिंक, भुगतान गेटवे, यूपीआइ आइडी, लेनदेन आइडी, बैंक खाते आदि की पहचान की गई। जुड़े हुए मोबाइल नंबर और जिन कंपनियों के खातों में ठगी का पैसा भेजा गया उसका पता लगाया गया। खातों से जुड़े नंबरों की जांच के बाद पता चला कि पश्चिम बंगाल के उलुबेरिया का रहने वाला शेख राबिन इस एप से जुड़े हुए 30 खातो को चला रहा है। इसके अलावा फर्जी कंपनियों के कुछ निदेशकों के बारे में पता चला।
पुलिस टीम ने अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी कर शेख राबिन, दो चार्टर्ड एकाउंटेंट अविक केडिया और रौनक बंसल व अन्य उमाकांत आकाश जोयस, वेद चंद्रा, हरी ओम, अभिषेक, शशि बंसल, मिथलेश शर्मा, अरविंद समेत 11 आरोपितों को गिरफ्तार किया। आरोपितों ने पूछताछ में बताया कि फर्जी कंपनियों, बैंक खातों के माध्यम से चीनी नागरिकों द्वारा सुनियोजित तरीके से एप के जरिये लोगों के साथ करोड़ो रुपये की घोखाधड़ी की जा रही थी। शेख राबिन से चीनी नागरिकों ने टेलीग्राम के माध्यम से संपर्क किया था। शुरुआत में इसने चीनी नागरिकों के बैंक खाते खोले थे लेकिन बाद में यह सक्रिय रूप ये बड़ी संख्या में पैसों को भेजने का काम करने लगा। इसके पास 29 बैंक खाते और 30 मोबाइल फोन बरामद किए गए। पुलिस अधिकारी ने बताया कि एप को डाउनलोड करने के बाद उसमें पंजीकरण किया जाता था। पंजीकरण होने के बाद उसमें पैसे निवेश करने पर 20 से 25 दिन में दोगुना करने का दावा किया जाता था। पीड़ित को विश्वास में लेने के लिए आरोपित पहले 10 से 15 फीसद रुपये पीड़ित को दे देते थे। इससे पीड़ित और पैसे निवेश करता था। तीन सौ रुपये से लेकर करोड़ो रुपये तक लोग इस एप पर निवेश कर चुके हैं। अभी तक की जांच में पांच लाख लोग इस एप के जरिये ठगी के शिकार हुए हैं। अभी आगे की जांच चल रही है।