गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश, नगर संवाददता: नोएडा सेक्टर-10 स्थित इलाहाबाद बैंक की शाखा में हुए लोन घोटाले के मामले में एक कारोबारी को दोषी करार देते हुए सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश अमित वीर सिंह की अदालत ने पांच साल कैद की सजा सुनाई। साथ में उस पर पांच लाख रुपये जुर्माना भी लगाया। वहीं मामले में दो आरोपितों को अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में बरी किया।
सीबीआइ के लोक अभियोजक कुलदीप पुष्कर ने बताया कि 12 अप्रैल 2001 को इलाहाबाद बैंक के तत्कालीन सहायक महाप्रबंधक आरएन मेहरा ने सीबीआइ को शिकायत दी। इसमें उन्होंने बताया कि रिटेल फाइनेंसिंग के लिए इलाहाबाद बैंक की कुछ शाखाओं में वर्ष 1999 में रिटेल बैंकिंग बुटीक बनाए गए थे।
नोएडा सेक्टर-10 स्थिता शाखा में भी रिटेल बैंकिंग बुटीक बनाया गया था। बैंक प्रबंधक एसके अग्रवाल को इसका प्रभारी बनाया गया था। आरोप था कि वर्ष 2000 में दिल्ली के कारोबारी मनीष मित्तल ने धोखाधड़ी करते हुए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लोन लेकर बैंक को 4.90 लाख रुपये का नुकसान पहुंचाया। मामले में सीबीआइ ने मनीष मित्तल समेत बैंक प्रबंधक एसके अग्रवाल व प्रदीप गुप्ता को भी आरोपित बनाया था।
सीबीआइ ने तीनों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था। दोनों पक्षों को सुनने व पुख्ता साक्ष्यों और गवाहों के बयान के आधार पर विशेष अदालत ने मनीष मित्तल को दोषी करार देते हुए पांच साल कैद की सजा सुनाते हुए उपरोक्त जुर्माना लगाया। वहीं प्रदीप गुप्ता व एसके अग्रवाल को मामले में बरी कर दिया गया